HomeAdivasi Dailyवाह मामा शिवराज, आदिवासी को 300 का बोनस, प्रचार पर 6 करोड़

वाह मामा शिवराज, आदिवासी को 300 का बोनस, प्रचार पर 6 करोड़

राज्य सरकार पहले से ही तेंदु पत्ता कलेक्टर को सिर्फ़ 2,500 रुपए प्रति बैग दे रही थी, और अब बोनस 300 रुपए से भी कम हो गया है, जो कभी 1,500 से ​​2,000 रुपए होता था. पड़ोसी छत्तीसगढ़ में, कलेक्टरों को 4,000 रुपए प्रति बैग दिया जाता है. सुझाव है कि सरकार को इस आयोजन पर इतना पैसा खर्च करने के बजाय बोनस राशि को बढ़ा देना चाहिए.

मध्य प्रदेश सरकार राज्य में तेंदू पत्ता इकट्ठा करने वाले 22.6 लाख आदिवासियों को बोनस बांटने के लिए शुक्रवार को राज्य की राजधानी भोपाल में एक मेगा कार्यक्रम आयोजित करेगी.

इस आयोजन को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले आदिवासी आबादी तक अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं.

मध्य प्रदेश सरकार पिछले कुछ महीनों से ही अपने आदिवासी आउटरीच को बढ़ाने में लगी है. इससे पहले, भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन समेत आदिवासी नायकों के नाम पर कई जगहों का नाम बदल दिया गया था.

राज्य के वन अधिकारी मानते हैं कि इस साल तेंदू पत्ता इकट्ठा करने वालों को मिलने वाले बोनस में गिरावट आई है, लेकिन उन्होंने कहा कि समारोह का उद्देश्य जंगल में रहने वाले समुदायों के लोगों को प्रेरित करना है.

वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि चालू वर्ष में तेंदूपत्ता की बिक्री से होने वाला लाभ पिछले साल के 192 करोड़ रुपये से घटकर 67 करोड़ रुपये रह गया है, जो पांच साल में सबसे कम है. इसका मतलब है कि 22 लाख तेंदू कलेक्टर में से हर एक सिर्फ़ 296 रुपये का ही हकदार होगा.

22 लाख तेंदू कलेक्टर में से हर एक को सिर्फ़ 296 रुपये ही मिलेंगे

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) चितरंजन त्यागी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “बाजार पर निर्भर होने की वजह से बोनस कम किया गया था, लेकिन यह कार्यक्रम जंगल के निवासियों को प्रेरित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है. यही वो लोग हैं जो जंगल की बहाली के लिए कड़ी मेहनत करते हैं.”

त्यागी ने यह भी कहा कि इस आयोजन को “जागरुकता और प्रशिक्षण” के लिए आवंटित बजट से फ़ंड किया जा रहा है. इस आयोजन में करीब 6 करोड़ रुपये का खर्च आने की उम्मीद है.

इसके अलावा राज्य सरकार ने लकड़ी और बांस की बिक्री से होने वाले राजस्व का 20% लाभ वन समितियों को देने का फैसला किया है. साथ ही सरकार 800 से ज़्यादा वन गांवों को राजस्व गांवों के रूप में मानने के फैसले की घोषणा भी कर सकती है, और उन वन समितियों को सम्मानित करेगी जिन्होंने 4.31 लाख हेक्टेयर में फैले नष्ट हो रहे जंगलों को बहाल करने में योगदान दिया है.

हालांकि पर्यावरणविद अजय दुबे ने तेंदूपत्ता के बोनस में गिरावट पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि राज्य सरकार पहले से ही तेंदु पत्ता कलेक्टर को सिर्फ़ 2,500 रुपए प्रति बैग दे रही थी, और अब बोनस 300 रुपए से भी कम हो गया है, जो कभी 1,500 से ​​2,000 रुपए होता था.

पड़ोसी छत्तीसगढ़ में, कलेक्टरों को 4,000 रुपए प्रति बैग दिया जाता है. दुबे ने सुझाव दिया है कि सरकार को इस आयोजन पर इतना पैसा खर्च करने के बजाय बोनस राशि को बढ़ा देना चाहिए.

वन अधिकारियों को लगता है कि इस आयोजन में राज्य भर से 1 लाख से ज़्यादा लोग भाग लेने के लिए पहुंचेंगे.

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