मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के सिवनी मालवा से आदिवासियों द्वारा बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की खबर है. आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सैकड़ों आदिवासियों ने अवैध रूप से बड़ी संख्या में पेड़ों को काट दिया और तीन हेक्टेयर जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की.
फॉरेस्ट गार्ड रज्जन ने आदिवासियों को पेड़ काटने से रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी. इसके बाद उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को घटना की जानकारी दी. उन्होंने अधिकारियों को बताया कि महिलाओं समेत सैकड़ों आदिवासी झाड़बीड़ा इलाके में घुस आए हैं और पेड़ों और पौधों को गिराना शुरू कर दिया है.
जब गार्ड ने उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए कहा तो आदिवासियों ने कहा कि वे इस जमीन पर खेती करेंगे.
बाद में एक वन अधिकारी ज्ञान सिंह पवार ने आदिवासियों से बात की जिन्होंने कहा कि हमने यहां पौधे लगाए थे. आदिवासी लोगों ने कहा कि जैसे-जैसे परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़ रही है, उन्हें अपने परिवारों को खिलाने के लिए खेती करने की जरूरत है और इसके लिए जमीन की जरूरत है.
उन्होंने यह भी कहा कि वे दो दिन पहले नर्मदापुरम के कलेक्टर से मिलना चाहते थे लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई. आदिवासियों के मुताबिक कलेक्टर जब मौके पर आएंगे तो उनसे बात करेंगे.
आदिवासियों ने रेंजर से कहा कि वे उन्हें इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए दो दिन का समय देंगे, नहीं तो वे फिर से पेड़ गिराना शुरू कर देंगे.
सरकार ने 2018-19 में एक करोड़ रुपये खर्च कर झाड़बीड़ा बिट के कंपार्टमेंट 462 में पौधे रोपे थे. कुछ औषधीय पौधे थे जो 12 फीट से भी ऊंचे चले गए हैं लेकिन आदिवासियों ने उन पेड़ों को काट डाला. तीन हेक्टेयर से अधिक की जमीन पर लगे हुए पेड़ काटे जा चुके हैं.
सूचना मिलने पर डिप्टी रेंजर महेंद्र गौड़ और अन्य वनकर्मी मौके पर पहुंचे और आदिवासियों को पेड़ काटने से रोकने का प्रयास किया लेकिन वे वनकर्मियों की एक भी सुनने को तैयार नहीं हुए.
वन अधिकारी ज्ञान सिंह पवार ने कहा कि वन विभाग को घटना की जानकारी मिली थी और उसने राजस्व विभाग को फीडबैक दिया था.
(Photo Credit: Free Press Journal)