मध्य प्रदेश की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की एक महिला पर आदिवासियों की ज़मीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगा है.
ओबीसी महिला पर ये आरोप है की उसने फर्जी आदिवासी प्रमाण पत्र बनाकर आदिवासियों की करोड़ो की सम्पति पर कब्जा किया है.
पीड़ित आदिवासियों ने जबलपुर के आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में महिला और उसके बेटे के खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी है और अभी मामले की कार्यवाही की जा रही है.
इस महिला का नाम विमला बाई लुनिया बताया जा रहा है. विमला जबलपुर के हरदुआ गाँव की रहने वाली है.
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक विमला बाई ने फर्जी तरीके से आदिवासी जाति प्रमाण पत्र बनाए थे. इसी प्रमाण पत्र के आधार पर उसने पिछले दो सालों में दामोह ज़िले में आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा किया है.
ये भी पता चला है कि महिला का बेटा नरेश प्रसाद, लुनिया ग्राम पंचायत का सचिव है.
कानून के मुताबिक आदिवासी की जमीन सिर्फ आदिवासी व्यक्ति ही खरीद सकता है. अगर दूसरा व्यक्ति इसे खरीदना चाहता है तो उसे जिला कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी.
इसके अलावा बेचने वाले आदिवासी और खरीदने वाले गैर आदिवासी दोनों को ही जमीन बेचने और खरीदने का कारण बताना पड़ता है.
लेकिन महिला ने शॉर्टकट अपनाते हुए फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किया, जो पूरी तरह से गैर कानूनी है और आदिवासियों की जमीन औने-पौने दाम में खरीद ली.
इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक उसने आदिवासियों की दस एकड़ जमीन खरीद ली है.
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार महिला ने जो फर्जी दस्तावेज़ बनाए थे, उसमें जिस एसडीएम के हस्ताक्षर थे. वो इस क्षेत्र में तैनात नहीं थे.
पुलिस ने आईपीसी की धारा 420,467,468 और 471 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. पुलिस ने कहा कि आने वाले दिनों में एफआईआर में और लोगों को आरोपी बनाया जाएगा.