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पालघर में आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार की घटना की जांच चार सदस्यीय समिति करेगी

ज्ञापन और आयोग के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए चार सदस्यीय समिति द्वारा कथित घटना की जांच की जाएगी और 15 दिनों में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी. इस समिति में जिले के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.

महाराष्ट्र के पालघर जिले के धानीवरी गांव में पुलिस द्वारा आदिवासियों पर अत्याचार करने के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी है.

जिलाधिकारी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि दहाणु तालुका के धानीवरी गांव में हुई घटना की जांच के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के निर्देशों के आधार पर समिति का गठन किया गया है.

इस आदेश के मुताबिक, स्थानीय विधायकों ने एक ज्ञापन में कहा था कि मुंबई-बड़ौदा एक्सप्रेस-वे परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों को उपमंडलीय अधिकारी ने नोटिस जारी किया था.

ज्ञापन में विधायकों ने दावा किया कि 19 अप्रैल को पुलिस ने महिलाओं को उनके घरों से निकालकर उन्हें लाठियों से पीटा और जेसीबी से उनके घरों को तोड़ दिया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आदिवासियों को निर्वस्त्र कर पीटा गया.

ज्ञापन और आयोग के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए चार सदस्यीय समिति द्वारा कथित घटना की जांच की जाएगी और 15 दिनों में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी. इस समिति में जिले के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.

क्या है मामला?

मुंबई-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए रास्ता बनाने के लिए दहानु तालुका में धानिवरी के इभाडपाड़ा में रहने वाले आठ परिवारों को जबरदस्ती निकाला गया था. इन परिवारों के साथ ये कार्रवाई 19 अप्रैल को 15 घंटे की शॉर्ट नोटिस के साथ की गई थी. इन परिवारों की कुछ महिलाओं को अशोभनीय तरीके से उनके घरों से बाहर निकाल दिया गया था.

जिसके बाद पालघर जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी चार विधायकों ने कलेक्टर ऑफिस के बाहर धरना दिया था. यह आरोप लगाते हुए कि उन अधिकारियों के खिलाफ कोई उचित स्पष्टीकरण या कार्रवाई नहीं की गई जिन्होंने दहानु तालुका के धानिवरी में आठ आदिवासी परिवारों को उनके घरों से जबरन हटाया था.

दरअसल, वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस का एक हिस्सा है. सरकार के मुताबिक इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने के बाद वडोदरा से मुंबई तक की दूरी महज़ 379 किलोमीटर रह जाएगी. इतनी दूरी तक एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए सरकार की ओर से अनुमानित 44 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.

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