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महाराष्ट्र: ठाणे में महामारी के दौरान 741 शिशु मौतें; कोविड पर था फ़ोकस, तो आदिवासी से दूर हुई स्वास्थ्य सेवाएं

ठाणे ज़िला परिषद के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 के बीच कुल 741 शिशुओं की मौत हुई है. इसी अवधि में जिले में 121 बच्चों और 115 माताओं की भी मौत हुई है.

आदिवासी और ग्रामीण इलाक़ों में लागू की जा रही विकास योजनाओं के बारे में केंद्र और राज्य सरकारें भले ही जितने दावे कर लें, लेकिन ज़मीन पर हालात हमेशा उलट ही मिलते हैं. जैसा इस समय महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल ठाणे ज़िले में साफ़ हो रहा है. डेटा से पता चलता है कि मार्च 2020 में कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से ही ज़िले में शिशु मृत्यु दर ज़्यादा बनी हुई है.

ठाणे ज़िला परिषद के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 के बीच कुल 741 शिशुओं की मौत हुई है. इसी अवधि में जिले में 121 बच्चों और 115 माताओं की भी मौत हुई है.

शिशु मृत्यु तब दर्ज की जाती है जब मरने वाले बच्चे की उम्र 1 साल से कम हो. बच्चे की मृत्यु तब दर्ज की जाती है अगर उसकी उम्र 1 से 5 साल के बीच हो, और मातृ मृत्यु तब मानी जाती है जब प्रसव के दौरान या प्रसव के छह महीने के अंदर मां की मृत्यु हो जाती है.

ठाणे के दूरदराज़ के इलाकों में मज़दूरों के लिए काम करने वाली संस्था श्रमिक मुक्ति संगठन की इंदवी तुलपुले ने न्यूज़क्लिक को बताया, “महामारी के दौरान, सभी चिकित्सा सुविधाओं को कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए डाइवर्ट कर दिया गया, चाहे वह हेल्पलाइन नंबर 108 पर आपातकालीन एम्बुलेंस हो या स्वास्थ्य और बाल और महिला कल्याण विभागों का मानव संसाधन. यह एक बड़ी ग़लती थी. शिशु और मातृ मृत्यु दर की बढ़ी हुई संख्या सरकार के कुप्रबंधन की वजह से हुई है.”

ठाणे ज़िले की पांच तहसीलें आदिवासी बहुल हैं. सड़कों के विकास और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच जैसे मामलों में यह एक पिछड़ा इलाक़ा है. ज़िले के आदिवासी इलाक़ों में ज़रूरी बुनियादी ढांचे की कमी लोगों की स्वास्थ्य सहायता की उपलब्धता को प्रभावित करती है.

आंकड़ों के अनुसार 2020 में महामारी की शुरुआत के साथ ही शिशु और बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी होने लगी. 2020-21 में 547 शिशु मृत्यु और 94 बच्चों की मृत्यु की सूचना मिली थी, जबकि उससे पिछले साल में 76 शिशु मृत्यु और 20 बच्चों की मृत्यु हुई थी.

महामारी के दौरान, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को सामान्य आबादी के बीच कोविड-19 लक्षणों से संबंधित सर्वेक्षण करने का काम दिया गया था. इसके अलावा लॉकडाउन की वजह से लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध का आदिवासी आबादी पर गहरा असर पड़ा. इससे समुदाय में मौतों की संख्या में भी वृद्धि हुई.

ठाणे ज़िला प्रशासन ने भी माना है कि महामारी के दौरान आदिवासियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की कमी थी. ज़िले में कोविड-19 के प्रसार को रोकना एक बड़ी चुनौती थी. ऐसे में पूरी स्वास्थ्य प्रणाली कोरोनावायरस के नियंत्रण में लग गई. इन हालात में शिशु मृत्यु दर बढ़ी क्योंकि फ़ोकस कहीं और था.

लेकिन प्रशासन का दावा है कि अगले एक साल में यह दर फिर से कम होगी, क्योंकि ऐसा करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है.

राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं को पोषण, नियमित जांच आदि प्रदान करने के उद्देश्य से जननी सुरक्षा योजना, और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम समेत जच्चे और बच्चे के स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है. लेकिन ज़मीन पर इनके कार्यान्वयन की कड़ी आलोचना हुई है.

ठाणे महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लगा हुआ ज़िला है. ज़िले का एक हिस्सा काफ़ी विकसित और समृद्ध है, जबकि दूसरे में अभी भी बुनियादी सुविधाओं जैसे स्कूल, सड़क, अस्पताल, पानी, बिजली का अभाव है. ज़िले में मौजूद कई मुद्दों की बड़ी वजह इन दोनों हिस्सों में विकास की अलग-अलग गति है.

(Representational Picture. This report was published on Newsclick.)

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