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मणिपुर विधानसभा सत्र शुरू, 10 आदिवासी विधायकों ने एक बार फिर सदन से बनाई दूरी

पिछले साल 3 मई से मणिपुर में कुकी-ज़ो और मैतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा चल रही है. जिसमें कम से कम 220 लोगों की जान चली गई है, जबकि हज़ारों लोग घायल हुए हैं और दोनों समुदायों के 60 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर विधानसभा का 13 दिवसीय सत्र बुधवार को शुरू हुआ. वहीं राज्य में आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन या केंद्र शासित प्रदेश की मांग कर रहे 10 आदिवासी विधायकों ने एक बार फिर विधानसभा की कार्यवाही से दूरी बनाए रखी.

12 अगस्त तक चलने वाला मौजूदा सत्र पिछले साल 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से विधानसभा का तीसरा सत्र है.

इससे पहले दो मौकों पर भी कुकी-ज़ो समुदाय के 10 आदिवासी विधायकों ने इंफाल में असुरक्षा का आरोप लगाते हुए और मणिपुर में आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन या केंद्र शासित प्रदेश की मांग करते हुए विधानसभा सत्र का बहिष्कार किया था.

मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह 10 विधायकों से विधानसभा सत्र में भाग लेने का अनुरोध करेंगे.

10 आदिवासी विधायकों में से सात सत्तारूढ़ भाजपा के हैं, दो कुकी पीपुल्स अलायंस के हैं और एक निर्दलीय है.

10 में से एक, आदिवासी बहुल चुराचांदपुर जिले के सैकोट विधानसभा क्षेत्र से चुने गए भाजपा के पाओलियनलाल हाओकिप ने कहा कि वे इस बार भी सत्र में हिस्सा नहीं लेंगे. उन्होंने कहा, “जब मेरे लोग इम्फाल में कदम नहीं रख सकते तो मैं राज्य की राजधानी में आयोजित विधानसभा में कैसे भाग ले सकता हूं.”

पिछले साल 3 मई से मणिपुर में कुकी-ज़ो और मैतेई समुदाय के बीच जातीय हिंसा चल रही है. जिसमें कम से कम 220 लोगों की जान चली गई है, जबकि हज़ारों लोग घायल हुए हैं और दोनों समुदायों के 60 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं.

मुख्यमंत्री, जिनके पास वित्त विभाग भी है. उन्होंने सत्र के पहले दिन वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 34,899 करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जिसमें 1,526 करोड़ रुपये का घाटा है. बजट पेश करते हुए उन्होंने राज्य के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला, मुख्य रूप से चल रही जातीय अशांति के कारण…

उन्होंने सदन को बताया कि जातीय संकट ने राज्य की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिससे राजस्व संग्रह में गिरावट आई है और सुरक्षा तथा राहत कार्यों पर खर्च बढ़ा है.

मुख्यमंत्री ने सदन को बताया, “हमारे सामने आने वाली चुनौतियों में से कुछ थीं राजस्व संग्रह में कमी, सुरक्षा और राहत कार्यों पर खर्च में वृद्धि, मुद्रास्फीति, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही में कठिनाइयां, परियोजनाओं और योजनाओं के कार्यान्वयन में समस्याएं. राज्य में सामान्य स्थिति लौटने के साथ, हमारे कर संग्रह में सकारात्मक रुझान दिखाई दे रहा है. मुझे विश्वास है कि यह सुधार चालू वर्ष के दौरान जारी रहेगा.”

बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार राज्य की आर्थिक सुधार पर काम करना जारी रखेगी.

उन्होंने कहा, “शांतिपूर्ण और सुरक्षित वातावरण लाना और सुनिश्चित करना, विस्थापित लोगों के लिए पुनर्वास और सहायता, बिना आजीविका वाले लोगों को आजीविका प्रदान करना, कौशल विकास के अवसर प्रदान करना और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे में निवेश करना कुछ ऐसे कदम हैं जो हम उठा रहे हैं.”

भले ही मुख्यमंत्री सदन में शांतिपूर्ण और सुरक्षित वातावरण लाने और सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने की बात कर रहे हैं लेकिन 10 आदिवासी विधायकों का एक बार फिर विधानसभा की कार्यवाही से दूर रहना कुछ और ही इशारा कर रहा है.

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