छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के बीजापुर जिले के दूरदराज के हल्लूर गांव में गुरुवार को माओवादियों ने तीन आदिवासी ग्रामीणों का अपहरण कर लिया और एक की गला घोंटकर हत्या कर दी. वहीं अन्य दो को बुरी तरह पीटा.
यह घटना शुक्रवार को तब प्रकाश में आई जब दोनों पीड़ित वापस लौटे और घटना के बारे में अन्य लोगों को बताया.
तीनों लोगों को उनके घरों से इस संदेह के आधार पर अगवा किया गया था कि वे पुलिस के मुखबिर के रूप में काम करते हैं और गुरुवार शाम को हथियारबंद माओवादियों के एक समूह द्वारा उन्हें जंगलों के अंदर ले जाया गया.
पुलिस ने बताया कि हल्लूर निवासी 48 वर्षीय आदिवासी ग्रामीण सुक्कू हपका का शव अगली सुबह गांव के बाहरी इलाके में मिला.
माओवादियों ने एक पर्चे में कहा कि उस व्यक्ति की हत्या इसलिए की गई क्योंकि वह उनके संगठन के खिलाफ पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहा था.
भैरमगढ़ समिति के सदस्यों ने हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए एक पर्चा छोड़ा और कहा कि सुक्कू पुलिस मुखबिर के तौर पर काम कर रहा था, इसलिए उसे मार दिया गया.
पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई के कारण माओवादी बैकफुट पर हैं और घबराहट और हताशा में वे निर्दोष स्थानीय ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं.
मिरतुर पुलिस ने मामला दर्ज किया है और माओवादियों द्वारा पीटे गए अन्य दो पीड़ितों से अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रही है, जो अब बहुत डरे हुए हैं और ज्यादा कुछ बोलने में असमर्थ हैं.
यह हमला उस दिन हुआ है, जब सुरक्षाकर्मियों ने बीजापुर जिले में 12 माओवादियों को मार गिराया था.
हाल ही में बीजापुर बस्तर संभाग में चिंता का माहौल बन गया है क्योंकि यहां 6 जनवरी को आठ डीआरजी जवानों और एक ड्राइवर की हत्या हुई है. जबकि 12 जनवरी को इसी जिले के मद्देड़ क्षेत्र में मुठभेड़ में दो महिलाओं सहित पांच माओवादी मारे गए.
पिछले साल 23 दिसंबर को माओवादियों ने बीजापुर जिले में तीन स्थानीय ग्रामीणों की हत्या कर दी थी. उन पर पुलिस मुखबिर के तौर पर काम करने का आरोप लगाया गया था.
उनका आरोप था कि वे ‘ह्यूमन इंटेलिजेंस’ के तौर पर काम कर रहे थे, जो माओवादियों की मौजूदगी और आवाजाही के बारे में जानकारी देते थे.
जन अदालत में दो लोगों की हत्या कर दी गई और एक अन्य युवक को साप्ताहिक बाजार से अगवा कर लिया गया, जिसकी बाद में हत्या कर दी गई.
पिछले साल बस्तर में माओवादियों ने 68 से अधिक नागरिकों की हत्या की है, जिनमें से अकेले बीजापुर में लगभग 10 लोग मारे गए हैं. जबकि पिछले दो-तीन सालों में लगभग 12 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है.