इस साल 22.7 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों ने जेईई एडवांस्ड (JEE Advanced) में सफलता प्राप्त की, जो हाल के वर्षों में लड़कियों के लिए सबसे अधिक पास प्रतिशत है.
वहीं तमिलनाडु की एक 17 वर्षीय आदिवासी छात्रा ए. राजेश्वरी (A. Rajeshwari ) ने भी आईआईटी में प्रवेश पाया है. सलेम जिले के करुमांदुरई में सरकारी आदिवासी आवासीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा राजेश्वरी की यह उपलब्धि उसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में से एक में सीट दिलाएगी.
इसके साथ ही राजेश्वरी सरकारी आदिवासी आवासीय विद्यालय से आईआईटी में प्रवेश पाने वाली पहली छात्रा बन जाएगी.
मलयाली आदिवासी समुदाय से आने वाली राजेश्वरी ने डेढ़ साल पहले अपने पिता औंदी को कैंसर के कारण खो दिया था. औंदी एक दर्जी थे. तब से उनकी मां कविता खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करके अपने पांच लोगों के परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं.
तमाम मुश्किलों के बावजूद राजेश्वरी ने अपनी कक्षा 12वीं की परीक्षा में 600 में से 521 अंक हासिल किए और प्रतियोगी परीक्षा में अनुसूचित जनजाति कैटेगरी में ऑल इंडिया रैंक 417वीं हासिल की.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार 17 वर्षीय आदिवासी लड़की की उच्च शिक्षा का पूरा खर्च उठाएगी.
सीएम स्टालिन ने कहा कि यह आईआईटी के लिए एक सच्चा गौरव होगा जब “राजेश्वरी जैसी और बेटियां” संस्थान में शामिल होंगी.
उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “हमारी द्रविड़ मॉडल सरकार इसके लिए लगातार काम करेगी.”
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सरकारी आदिवासी आवासीय विद्यालय की छात्रा राजेश्वरी को उसकी उपलब्धि के लिए सलाम करते हैं, जिसने अपने पिता के सपने को साकार किया, जिनका पिछले साल निधन हो गया था. हालांकि अपने पिता को खोने के बाद भी उसने शिक्षा के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और उसे साकार करने के अपने सपने को साकार किया.
AIADMK के टॉप नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीसामी ने भी राजेश्वरी को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी.
सरकारी आवासीय स्कूल से IIT तक का सफर
राजेश्वरी के IIT तक पहुंचने के सफर की शुरुआत उनके शिक्षकों और विभाग द्वारा शुरू किए गए केंद्रित कोचिंग कार्यक्रम की वजह से संभव हुई.
कक्षा ग्यारह के अंत में चयनित छात्रों के लिए शुरू की गई इस पहल में चेन्नई से एक्सपर्ट टिचर्स और सब्जेक्ट स्पेशलिस्ट को ऑनलाइन कोचिंग सत्र आयोजित करने के लिए लाया गया.
राजेश्वरी के स्कूल के प्रिंसिपल डी. विजयन ने कहा, “वे सुबह और शाम को कक्षाएं लेते थे और छात्रों के सवालों को स्पष्ट करने के लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे.”
कक्षा बारह तक तमिल माध्यम से पढ़ाई करने वाली राजेश्वरी कहती हैं कि जेईई मेन्स तमिल में था इसलिए मुझे यह आसान लगा. लेकिन जेईई एडवांस्ड अंग्रेजी में था और इससे यह और भी मुश्किल हो गया. हालांकि, इसके बावजूद उन्होंने सफलता हासिल की.
12वीं की बोर्ड परीक्षा के बाद राजेश्वरी को जेईई एडवांस्ड की तैयारी को और तेज़ करने के लिए इरोड जिले के पेरुंदुरई में एक स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम में भेजा गया.
राजेश्वरी ने कहा, “शिक्षकों के मार्गदर्शन और साथी छात्रों की प्रेरणा से मैंने परीक्षा पास कर ली. उम्मीद है कि मैं आईआईटी मद्रास या आईआईटी बॉम्बे में प्रवेश पा लूंगी. मैं एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करना चाहती हूं.”
उन्होंने आगे कहा, “तमिल माध्यम के छात्र चुनौतियों को पार कर सकते हैं और शिक्षकों के उचित मार्गदर्शन और समर्थन के साथ जेईई जैसी परीक्षाओं को पास कर सकते हैं.”