HomeAdivasi Dailyकुमराम भीम टाइगर कंजर्वेशन रिजर्व के खिलाफ आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन

कुमराम भीम टाइगर कंजर्वेशन रिजर्व के खिलाफ आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन

जिले के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में आदिवासियों ने रैली में भाग लिया, जो विवेकानंद चौक और बस स्टैंड जैसे प्रमुख चौराहों से होकर गुजरी.

कवल टाइगर रिजर्व कॉरिडोर (Kawal Tiger Reserve corridor) के एक हिस्से को नए अधिसूचित कुमराम भीम कंजर्वेशन रिजर्व (Kumram Bheem Conservation Reserve) में बदलने के तेलंगाना सरकार के फैसले के खिलाफ आदिवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया.

रविवार को के.बी. चौक से जिला कलेक्ट्रेट तक एक विशाल रैली निकाली गई. जिसमें सरकारी आदेश (GO) 49 का विरोध किया गया, जिसके तहत रिजर्व का गठन किया गया था.

जिले के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में आदिवासियों ने रैली में भाग लिया, जो विवेकानंद चौक और बस स्टैंड जैसे प्रमुख चौराहों से होकर गुजरी.

उन्होंने आदिवासी नेता कुमराम भीम को पुष्पांजलि अर्पित करके विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की और सरकारी आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए नारे लगाए.

साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं करती है तो आंदोलन और तेज़ हो जाएगा.

विपक्ष का विरोध प्रदर्शन को समर्थन

आसिफाबाद विधायक कोवा लक्ष्मी, बीआरएस नेता डॉ. आरएस प्रवीण कुमार, सिरपुर (टी) के पूर्व विधायक कोनेरू कोनप्पा और आदिलाबाद के पूर्व सांसद सोयम बापू राव ने विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया.

विधायक लक्ष्मी ने कहा कि पिछली बीआरएस सरकार ने पोडू भूमि के लिए पट्टे जारी किए थे और कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच सुनिश्चित की थी. जबकि मौजूदा कांग्रेस सरकार आदिवासियों की खेती में बाधा डाल रही है.

वहीं प्रवीण कुमार ने मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी की आलोचना करते हुए कहा कि इंदरवेल्ली में आदिवासी समुदायों को आश्वासन दिए जाने के बावजूद सरकार अब बाधाएं खड़ी कर रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि दूरदराज के आदिवासी बस्तियों तक सड़कें नहीं बनाई जा रही हैं, जबकि जंगल में रहने वाले समुदायों को विस्थापित करने की कोशिश की जा रही है.

सोयम बापू राव (Soyam Bapu Rao) ने आरोप लगाया कि इस कदम के पीछे केंद्र का हाथ है और उन्होंने संरक्षण रिजर्व को आदिवासियों के खिलाफ साजिश करार दिया.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगर सरकारी आदेश वापस नहीं लिया गया तो इस मुद्दे को भारत के राष्ट्रपति के पास ले जाया जाएगा.

कोनेरू कोनप्पा (Koneru Konappa) ने कहा कि रिजर्व से आदिवासियों के जीवन पर असर पड़ेगा और उन्होंने विरोध आंदोलन को पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया.

उन्होंने कहा कि सभी गांवों में प्रदर्शन करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी, जिसमें स्थानीय लोग अपनी असहमति जताने के लिए काले झंडे फहराएंगे.

टुडुम देब्बा (Tudum Debba) राज्य अध्यक्ष ने भी इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि आदिवासियों को वोट बैंक की तरह देखा जा रहा है.

उन्होंने लोगों से बाघ संरक्षण के नाम पर किसी भी उत्पीड़न का विरोध करने का आग्रह किया और कुमराम भीम और रामजी गोंड जैसे नेताओं से प्रेरित होकर नए सिरे से आदिवासी आंदोलन का आह्वान किया.

कुमराम भीम टाइगर कंजर्वेशन रिजर्व

तेलंगाना राज्य सरकार ने शुक्रवार (30 मई, 2025) को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) के प्रावधानों के मुताबिक, राज्य में कवल टाइगर रिजर्व को महाराष्ट्र में ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (Tadoba-Andhari Tiger Reserve) से जोड़ने वाले टाइगर कॉरिडोर क्षेत्र को ‘कुमराम भीम संरक्षण रिजर्व’ घोषित करने के आदेश जारी किया.

1492.88 वर्ग किलोमीटर के कुल क्षेत्रफल को कवर करते हुए, प्रस्तावित संरक्षण रिजर्व आसिफाबाद और कागजनगर डिवीजनों में फैला है. इसमें कुमराम भीम आसिफाबाद जिले के केरामेरी, वानकिडी, आसिफाबाद, सिरपुर, कौटाला, बेज्जूर, कागजनगर, रेब्बाना, दहेगांव और तिरयानी मंडल के कुछ हिस्से और गारलापेट, अदा, मानिकगढ़ पूर्व, मानिकगढ़ पश्चिम, दानोरा, गुडेम, बेज्जूर, कदम्बा और गिराली सहित 78 आरक्षित वन ब्लॉक शामिल हैं.

यह क्षेत्र वन्यजीव गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कवल को न केवल ताड़ोबा से जोड़ता है बल्कि महाराष्ट्र में कन्हारगांव, टिपेश्वर और चपराला वन्यजीव अभयारण्यों और छत्तीसगढ़ में इंद्रावती टाइगर रिजर्व से भी जोड़ता है.

अधिसूचना में कहा गया है कि इस क्षेत्र में निवासी और प्रजनन करने वाले बाघों की मौजूदगी और पिछले दशक में कई अंतर-राज्यीय बाघों के फैलाव की घटनाएं इस बात का संकेत हैं कि यह मध्य भारत के परिदृश्य के इस हिस्से में बाघों के संपर्क को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है.

बाघों के अलावा प्रस्तावित क्षेत्र कई अन्य मांसाहारी जानवरों जैसे तेंदुआ, जंगली कुत्ता, सुस्त भालू, भेड़िया, लकड़बग्घा, हाथियों और जंगली बिल्ली का घर है.

240 से अधिक पक्षी प्रजातियों ने इसे अपना घर बना लिया है. जिसमें मालाबार पाइड हॉर्नबिल और लॉन्ग बिल्ड वल्चर शामिल हैं, जिनके लिए यह एकमात्र घोंसला बनाने वाली जगह है.

अधिनियम की धारा 36 (ए) के मुताबिक, राज्य सरकार अपने स्वामित्व वाले किसी भी क्षेत्र को, विशेष रूप से राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के निकटवर्ती क्षेत्रों और उन क्षेत्रों को जो एक संरक्षित क्षेत्र को दूसरे से जोड़ते हैं, समुद्री दृश्यों, वनस्पतियों और जीव-जंतुओं और उनके आवास की सुरक्षा के लिए संरक्षण रिजर्व घोषित कर सकती है.

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