ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन आजकल ग़लत कारणों से चर्चा में है.
कॉरपोरेशन के शिक्षा विभाग द्वारा उनके स्कूलों में दाखिले के लिए ऐप्लिकेशन फॉर्म पर अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए अपमानजनक तमिल शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. इसको ख़िलाफ़ दो याचिकाएं दायर की गई हैं.
कॉरपोरेशन द्वारा संचालित स्कूलों के ऐप्लिकेशन फ़ॉर्म में छात्रों की कैटेगरी पूछने के लिए तमिल भाषा में जिन शब्दों का इस्तेमाल है, वो बेहद अपमानजनक हैं.
फ़ॉर्म में एससी के लिए उत्पीड़ित या निचली जाति, और एसटी के लिए पहाड़ी जाति के तमिल शब्दों का उपयोग हुआ है.
इन शब्दों से जुड़े नकारात्मक अर्थों और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) के 2018 के आदेश के संभावित उल्लंघन का हवाला देते हुए दो याचिकाएं भेजी गई हैं.
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया – तमिलनाडु के अध्यक्ष आर. अन्बुवेंधन द्वारा भेजी गई याचिका में कहा गया है कि इन शब्दों का उपयोग कानून का उल्लंघन है.
एडवोकेट ए.बी.राजशेखरन ने भी अपनी याचिका में कहा है कि यह शब्द अपमानजनक हैं, और कानून का उल्लंघन करते हैं.
इन याचिकाओं के बाद कॉरपोरेशन ने फ़ॉर्म वापस ले लिया है. MoSJE का 2018 का आदेश सभी राज्य सरकारों को अंग्रेजी में केवल संवैधानिक शब्द ‘अनुसूचित जाति’ और ‘अनुसूचित जनजाति’, और स्थानीय भाषाओं में इसके उपयुक्त अनुवादों के इस्तेमाल करने को कहता है.
तमिलनाडु में अनुसूचित जाति के लिए आदि द्रविड़र का इस्तेमाल स्वीकृत है. कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए माना कि इन शब्दों के बारे में उठाई गई चिंताएं जायज़ हैं.
वो कहते हैं कि फ़ॉर्म पिछले साल छापे गए थे. फ़िलहाल स्कूलों से कहा गया है कि जब तक नए फ़ॉर्म नहीं छापे जाते, तब तक शब्दों को हाथ से लिखकर बदला जाए. अगले साल के लिए नए फ़ॉर्म सही ढंग से प्रिंट किए जाएंगे.