असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के सात राज्यों के आठ छात्र संघों से मिलकर बने नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (NESO) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मणिपुर में पिछले 16 महीनों से जारी हिंसा पर गहरी चिंता जताई है.
छात्र संगठनों में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU), खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU), गारो स्टूडेंट्स यूनियन (GSU), ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (AMSU), मिजो जिरलाई पावल (MZP), नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (NSF), ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (AAPSU) और त्विप्रा स्टूडेंट्स फेडरेशन (TSF) शामिल हैं.
अपने पत्र में NESO ने हिंसा की निंदा करते हुए इसे “निंदनीय” और मानवता, शांति और सह-अस्तित्व के सिद्धांतों के खिलाफ बताया.
पत्र में कहा गया है, “लंबे समय से चल रहे संघर्ष के कारण निर्दोष लोगों की जान गई है, संपत्ति का व्यापक स्तर पर विनाश हुआ है और पूरे राज्य में भय और अस्थिरता का माहौल बना हुआ है.”
एनईएसओ ने ड्रोन और मिसाइल हमलों की हालिया रिपोर्टों पर भी चिंता जताई, जिससे स्थिति और खराब हुई है और समुदायों के बीच विभाजन गहरा गया है.
संगठन ने शांतिपूर्ण बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया और भारत सरकार से निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया. एनईएसओ ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर निराशा व्यक्त की और कहा कि हिंसा शुरू होने के बाद से उन्होंने अभी तक मणिपुर का दौरा नहीं किया है.
पत्र में कहा गया है, “समय पर नेतृत्व की अनुपस्थिति ने संघर्ष को बढ़ने दिया है, जिससे लोगों की पीड़ा और बढ़ गई है.”
एनईएसओ ने प्रधानमंत्री से मणिपुर का दौरा करने, स्थिति का आकलन करने और कमजोर नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने का आह्वान किया.
पत्र में स्थायी समाधान की सुविधा के लिए सभी समुदायों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक उच्च स्तरीय शांति समिति के गठन का भी आग्रह किया गया.
एनईएसओ ने मणिपुर और पूरे उत्तर पूर्व में शांति और न्याय के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए सभी हितधारकों से बातचीत को अपनाने और स्थिरता बहाल करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया.
मणिपुर में कब लौटेगी शांति?
पिछले साल 3 मई 2023 को मणिपुर में हिंसा की ऐसी आग सुलगी जो अभी तक शांत नहीं हुई है. मैतेई और कुकी समुदाय के बीच चल रही जातीय हिंसा का असर कई घरों पर पड़ा. हिंसा के चलते सैकड़ों लोगों की मौत हो गई, हजारों लोग घायल हो गए. वहीं 50 हज़ार से ज्यादा लोग बेघर हो गए.
पिछले एक साल से अधिक समय से मणिपुर में स्थिति नियंत्रण से बाहर है. जातीय संघर्ष, पुलिस और सशस्त्र बलों की अवज्ञा के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर है.
केंद्र सरकार ने कानून-व्यवस्था बहाल करने और शांति स्थापित करने के लिए औपचारिक प्रयासों के रूप में कुछ खास नहीं किया है और यह उपेक्षा हैरान कर देने वाला है.
ऐसे में यह सवाल है कि मणिपुर के जख्म आख़िर कब भरेंगे? कब मणिपुर शांति पथ पर लौटेगा? ये सवाल इसलिए क्योंकि इस हिंसा में मणिपुर ने बहुत कुछ खोया है और अभी भी खो रहा है.
(Image credit : PTI)