केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने सिक्किम के 12 अतिरिक्त समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने के प्रस्ताव को राज्य सरकार को वापस भेज दिया है.
केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने सिक्किम के राज्यसभा सांसद, दोरजी शेरिंग लेप्चा को पत्र लिखकर यह जानकारी दी कि प्रस्ताव को भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) के पास विचार के लिए भेजा गया था लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को मंज़ूरी नहीं दी है.
केंद्रीय जनजातीय मंत्री ओराम ने बताया कि इस प्रक्रिया में संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए स्थापित नियमों का पालन किया जा रहा है.
यह प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा 1999 में तय की गई थी और 2002 और 2022 में इसमें संशोधन भी किया गया था.
इसके तहत किसी भी समुदाय को ST का दर्जा देने का प्रस्ताव पहले संबंधित राज्य सरकार द्वारा भेजा जाता है. इसके बाद इसे RGI और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से मंजूरी मिलनी चाहिए तब ही संसद में संशोधन कर इसे लागू किया जा सकता है.
जिन समुदायों को ST में शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है उनमें किरत खाम्बू राई, गुरूंग, मंगन, थामी, संन्यासी (जोगी), बाहुन, क्षेत्री, भुजेल, किरत देवान, सुनुवार, और नेवार शामिल हैं.
पहले माझी समुदाय को भी इस सूची में शामिल समझा जा रहा था लेकिन मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि माझी समुदाय के लिए कोई औपचारिक प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है.
यह मुद्दा सिक्किम में काफी संवेदनशील है, जहां कई समुदाय लंबे समय से ST का दर्जा पाने की मांग कर रहे हैं. 29 जुलाई को राज्यसभा में इस मुद्दे को लेकर सांसद डी.टी. लेप्चा ने भी अपनी चिंता जाहिर की थी और सरकार से इस पर त्वरित कार्रवाई की मांग की थी.
मंत्रालय द्वारा प्रस्ताव को राज्य सरकार को वापस भेजने के बाद, अब सिक्किम सरकार के पास इसे और मजबूत करने का मौका है.
राज्य सरकार को अपने दावे को और ठोस बनाने के लिए नए सर्वेक्षण, ऐतिहासिक और मानवशास्त्रीय सबूत जुटाने की जरूरत पड़ सकती है. इसके अलावा उन्हें विभिन्न समुदायों के नेताओं और विशेषज्ञों से भी इस पर विचार-विमर्श करना होगा.
यदि राज्य सरकार उचित कारणों और स्पष्टीकरण के साथ प्रस्ताव को फिर से प्रस्तुत करती है तो इसे RGI (Registrar General of India) और NCST (National Commission for Scheduled Tribes) की मंजूरी मिलने की संभावना है. इसके बाद ही संसद में संशोधन कर इन समुदायों को ST का दर्जा दिया जा सकता है.