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मणिपुर में फिर भड़की हिंसा के बीच कॉनराड संगमा की NPP ने समर्थन लिया वापस

NPP ने कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है.

मणिपुर एक बार फिर हिंसा की चपेट में है. राज्य के अलग-अलग हिस्सों से बीते कई दिनों से हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं. शनिवार को हुई हिंसा में इंफाल घाटी में कई विधायकों और मंत्रियों के घरों पर भी हमला किया गया और कई वाहनों में आग लगा दी गई.

मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया, “इंफाल में गुस्साई भीड़ ने राज्य के मंत्रियों और विधायकों समेत कई जन प्रतिनिधियों के घरों और संपत्ति को निशाना बनाया है. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दाग़े.”

पुलिस की इस कार्रवाई में आठ लोगों को चोटें आई हैं.

स्थानीय प्रशासन ने हालात को देखते हुए राजधानी इंफाल समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है. इसके अलावा कई जगहों पर इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शनिवार को मणिपुर सरकार ने केंद्र सरकार से राज्य के छह पुलिस थाना क्षेत्रों से आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट यानि आफ़स्पा हटाने का आग्रह किया है.

आफ़स्पा एक विशेष कानून है जिसके तहत अशांत क्षेत्रों में सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए सशस्त्र बलों को खास शक्तियां दी गई हैं. इस कानून का इस्तेमाल करके सशस्त्र बल किसी भी इलाक़े में पांच या पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा सकते हैं.

मणिपुर सरकार से NPP ने समर्थन लिया वापस

इस सब के बीच कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को भाजपा के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे एक आधिकारिक पत्र में एनपीपी ने कहा’ ‘मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है. मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने तत्काल प्रभाव से मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.’

60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के सात विधायक हैं. इसके समर्थन वापस लेने से भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि उसके पास 32 विधायकों के साथ सदन में बहुमत है, जिसे नगा पीपुल्स फ्रंट के पांच और जेडी(यू) के छह विधायकों का समर्थन प्राप्त है. कांग्रेस के पास पांच विधायक हैं.

वहीं कांग्रेस के तीन बार सीएम रह चुके ओकराम इबोबी सिंह ने बीरेन सिंह के खिलाफ़ तीखे हमले में शामिल होकर संवैधानिक तंत्र के ढहने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत हस्तक्षेप नहीं किया तो वे अन्य गैर-एनडीए विधायकों के साथ सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा दे देंगे.

इंफाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इबोबी ने कहा, “हम मौजूदा राज्य सरकार, खासकर सीएम बीरेन सिंह से अपील करते हैं कि वे विपक्षी सदस्यों के साथ मिलकर तुरंत प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगें. जैसे ही प्रधानमंत्री विदेश यात्रा से लौटेंगे, हम उनसे मिलना चाहेंगे.”

उन्होंने आगे कहा, “आज तक मुझे नहीं पता कि वह (बीरेन) मिलने का समय मांग सकते हैं या नहीं. यह उन पर निर्भर करता है. अगर वह ऐसा करते हैं तो हम प्रधानमंत्री से मिलेंगे और उन्हें मणिपुर समस्या को बिना किसी देरी के हल करने का अल्टीमेटम देंगे. नहीं तो हम सत्तारूढ़ और विपक्षी विधायकों के साथ मिलकर इस मामले पर कभी भी अंतिम फैसला लेंगे.”

क्यों फिर से भड़क उठी हिंसा?

मणिपुर के जिरीबाम में 7 नवंबर को हथियारबंद चरमपंथियों ने कुकी समुदाय की एक महिला को गोली मारने के बाद उनको कथित तौर पर मकान समेत जला दिया था. इस घटना के बाद से जिरीबाम में लगातार हिंसा हो रही है.

बीते 11 नवंबर को जिरीबाम ज़िले में चरमपंथियों के साथ सीआरपीएफ की एक कथित मुठभेड़ हुई थी.

सोशल मीडिया एक्स पर मणिपुर पुलिस ने बताया “हथियारबंद चरमपंथियों ने जिरीबाम ज़िले के जकुराडोर इलाके में स्थित सीआरपीएफ़ के एक पोस्ट पर हमला कर दिया. जिसके बाद बचाव में सुरक्षाबलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की.”

40 मिनट तक चली इस मुठभेड़ के तुरंत बाद पुलिस ने 10 हथियारबंद चरमपंथियों के शव बरामद करने की पुष्टि की थी. मुठभेड़ में मारे गए सभी लोग आदिवासी युवक थे.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ घटना के बाद जिरीबाम ज़िले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अनिश्चितकाल के लिए कर्फ़्यू लगा दिया गया.

इस मुठभेड़ के बाद बोराबेकरा थाने के पास मौजूद एक राहत शिविर से मैतेई समुदाय के एक ही परिवार के छह सदस्य लापता हो गए थे.

इनमें तीन बच्चे और महिलाएं भी शामिल थी और मैतेई लोगों का आरोप था कि हथियारबंद चरमपंथियों ने इन लोगों का अपहरण किया है.

लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश दिख रहा था और इंफाल में जगह-जगह महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही थीं.

इस बीच पांच दिन बाद यानी शुक्रवार को जिरीमुक गांव के पास राहत शिविर से करीब 20 किलोमीटर दूर नदी में तीन शव मिले थे, जिनमें एक महिला और दो बच्चों के शव थे. इसी के बाद इंफाल में ताजा हिंसा देखने को मिली है.

शव मिलने के बाद पुलिस ने कहा कि जब तक शवों का पोस्टमार्टम नहीं हो जाता तब तक इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि ये लापता लोगों के ही शव हैं या नहीं.

हालंकि स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ये शव लापता लोगों के ही हैं.

(PTI File image)

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