HomeAdivasi Dailyओडिशा मंत्रिमंडल ने आदिवासी भूमि के हस्तांतरण पर फैसला वापस लिया

ओडिशा मंत्रिमंडल ने आदिवासी भूमि के हस्तांतरण पर फैसला वापस लिया

लोकसभा और ओडिशा विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने आदिवासी भूमि हस्तांतरण को लेकर पूर्व में लिये गये अपने फैसले(आदिवासी व्यक्ति गैर आदिवासी को भूमि बेच सकता है) को वापस ले लिया है. इसके अलावा उन्होंने एक नयी योजना को भी मंजूरी दी है और सरकार का दावा है की इससे लगभग 90 लाख आदिवासी आबादी को फायदा होगा.

सोमवार को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Chief Minster Naveen Patnaik) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया कि अब से आदिवासी समुदाय अपनी ज़मीन गैर-आदिवासियों को नहीं बेच सकेंगे.

14 नवंबर 2023 में ओडिशा सरकार ने अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण (अनुसूचित जनजातियों द्वारा) विनियमन [Odisha Scheduled Areas Transfer of Immovable Property (By Scheduled Tribes) Regulation] में संशोधन किया था.

जिसके अनुसार राज्य में रहने वाले लगभग 90 लाख आदिवासियों को ये अनुमति दी गई थी की वे अपनी ज़मीन को गैर आदिवासी व्यक्ति को बेच सकते हैं.

14 नवंबर को लिए गए इस फैसले की विभिन्न संगठनों द्वारा आलोचना की गई थी. हालांकि अब यह निर्णय वापस ले लिया गया है. इसके अलावा इस कैबिनेट मीटिंग में कई और बड़े फैसले भी लिए गए है.

इस कैबिनेट मीटिंग के दौरान लघु बना जाति द्राब्या क्राय (Laghu Bana Jatiya Drabya Kraya) योजना की घोषणा की गई.

इस योजना के तहत सरकार द्वारा लघु वन उपज (MFP) के लिए 100 प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित किया जाएगा.

वहीं प्रशासन का दावा है की लगभग 99 प्रतिशत एमएसपी (MSP) और एमएफपी का उपयोग आदिवासियों द्वारा किया जाता है.

इसलिए इस योजना का उद्देश्य इन आदिवासियों तक एमएसपी(MSP) और एमएफपी(MFP) का फायदा देना है. इस न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का दर हर साल राज्य सरकार तय करती है.

इसके अलावा कैबिनेट ने ओडिशा की अनुसूचित जनजातियों की भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक आयोग की स्थापना को भी मंजूरी दी है.

इस आयोग का काम होगा की वे ओडिशा में 21 जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दें.
इसके साथ ही यह आयोग बहुभाषी शिक्षा को प्रोत्साहित करने, आदिवासी भाषाओं का दस्तावेजीकरण और उनके उपयोग को बढ़ावा देने का कार्य भी करेगा.

वहीं इस कैबिनेट मीटिंग में 169 समुदाय को एसटी लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया गया है.
इसके अलावा संविधान की 8वीं अनुसूची में हो, मुंडारी, कुई और साओरा भाषाओं को शामिल करने के प्रस्ताव को फिर से कैबिनेट के सामने रखा गया था.

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