HomeAdivasi Dailyअसम राइफल्स के कुछ कमांडिंग ऑफिसर मुश्किलें पैदा कर रहे हैं -...

असम राइफल्स के कुछ कमांडिंग ऑफिसर मुश्किलें पैदा कर रहे हैं – कुकी-ज़ो समूह

कुकी-ज़ो समूहों ने मांग की है कि बफर ज़ोन लागू किया जाए और भारत सरकार से अनुरोध किया कि मैतेई उग्रवादियों को कुकी-ज़ो गांवों में घुसपैठ करने और हमला करने से रोकने के लिए केंद्रीय बलों को सशक्त बनाया जाए.

मणिपुर में हिंसा शुरू हुए करीब नौ महीने हो चले हैं लेकिन अभी राज्य से लगातार हिंसा और लोगों की मौत की खबरें आ रही हैं. पिछले कुछ दिनों में गोलीबारी में सुरक्षाबलों और आम लोगों की जानें गई हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

इसी बीच दिल्ली और एनसीआर में कुकी संगठनों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में कई मांगें रखीं.

एक प्रतिनिधि ने कहा, “हमने भारत सरकार के साथ जुड़ने की अथक कोशिश की है लेकिन हमारे प्रयासों को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. मीडिया अब गृह मंत्री अमित शाह तक हमारी आवाज उठाने की एकमात्र उम्मीद है.”

हाल के दिनों में कई न्यूज रिपोर्टें सामने आई हैं, जिनमें कुकी समुदाय ने आरोप लगाया है कि असम राइफल्स उनके स्वयंसेवकों के लिए समस्याएं पैदा कर रहा है.

जब से मणिपुर में हिंसा शुरू हुई मैतेई लोगों ने मणिपुर पुलिस के प्रति संतुष्टि व्यक्त की, जबकि कुकी लोग केंद्रीय बलों से अधिक खुश थे. हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों में कुकी समुदाय ने असम राइफल्स पर उनके लोगों पर हमला करने का आरोप लगाया है.

इस बारे में पूछने पर कुकी संगठनों का कहना है, “हम अभी भी असम राइफल से संतुष्ट हैं लेकिन दो अधिकारी हैं जो हमारे लिए समस्याएँ पैदा कर रहे हैं. ये अधिकारी हमारे समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह प्रदर्शित करते हैं. एक राहुल जैन हैं, जो मोरेह में तैनात हैं और दूसरे आकाश ओइनम हैं, जो सैकुल क्षेत्र में तैनात एक मैतेई अधिकारी हैं.”

कुकी पीपुल्स अलायंस के जेनरल सेक्रेटरी, डब्ल्यू.एल हैंगशिंग ने कहा, “हिंसा की शुरुआत में हमने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के ध्यान में लाया और मणिपुर में निष्पक्ष अधिकारियों की नियुक्ति की मांग की.”

एक अन्य प्रतिनिधि, मैरी ग्रेस ने कहा, “ये अधिकारी हमारे बफर ज़ोन में घुसपैठ करने और हमारे लोगों को नुकसान पहुंचाने में मैतेई उग्रवादी समूहों की सहायता कर रहे हैं.”

कुकी समुदाय के प्रतिनिधियों ने मोरेह से मैतेई राज्य सुरक्षा बलों की तत्काल और पूर्ण वापसी का भी आह्वान किया.

दरअसल, कई महीने पहले अमित शाह की मणिपुर यात्रा के दौरान उन्होंने इस मांग के संबंध में समुदाय को आश्वासन जारी किया था. हालांकि, गृह मंत्री ने अभी तक कार्रवाई नहीं की है.

उन्होंने एक और मांग उठाई कि बफर ज़ोन लागू किया जाए और भारत सरकार से अनुरोध किया कि मैतेई उग्रवादियों को कुकी-ज़ो गांवों में घुसपैठ करने और हमला करने से रोकने के लिए केंद्रीय बलों को सशक्त बनाया जाए.

इसके अलावा उन्होंने केंद्र सरकार से मणिपुर सरकार पर तुरंत “लगाम” लगाने का आग्रह किया. उन्होंने घोषणा की, “मणिपुर सरकार अब मैतेई उग्रवादी समूहों के नियंत्रण में है.”

समूह ने कुकी-ज़ो छात्रों को राज्य के बाहर के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाने में सहायता का भी आह्वान किया ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. उन्होंने कहा, “ऐसे सैकड़ों कुकी-ज़ो छात्र हैं जो अपनी पढ़ाई जारी रखने में असमर्थ हैं.”

10 कुकी-ज़ो विधायकों ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र

एक कट्टरपंथी मैतेई समूह अरामबाई तेंगगोल ने 24 जनवरी को संघर्ष प्रभावित मणिपुर में तालिबान जैसी हरकतें करते हुए 37 विधायकों और दो सांसदों पर अपनी मांगों का समर्थन करने के लिए दबाव डाला और ऐतिहासिक कांगला किले में सुरक्षा बलों के सामने उनमें से तीन पर शारीरिक हमला किया. 10 कुकी-ज़ोमी विधायकों ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में यह बात कही.

विधायक, जो पिछले साल मई में हिंसा भड़कने के बाद से कुकी-प्रभुत्व वाली पहाड़ियों में डेरा डाले हुए हैं.  उन्होंने कहा कि अराजकता राजधानी इम्फाल में एक नया कानून बन गई है. अरामबाई तेंगगोल का यह तालिबान जैसा कृत्य मणिपुर घाटी में भारतीय संवैधानिक मशीनरी के पूरी तरह से धवस्त होने को दर्शाता है. राज्य सरकार को अरामबाई तेंगगोल की आज्ञा का पालन करने के लिए मजबूर किया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित लोकप्रिय सरकार की मौजूदगी के बावजूद सड़कों पर सेना के कब्जे की ऐसी घटनाएं स्वतंत्र भारत में अभूतपूर्व हैं. इसलिए इस महत्वपूर्ण मोड़ पर एक वैकल्पिक राजनीतिक समाधान की आवश्यकता तत्काल जरूरी है.

विधायकों ने कहा कि अरामबाई तेंगगोल 3 मई, 2023 से कुकी-ज़ो लोगों के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं.

विधायकों ने लिखा कि 3 मई के बाद से “मणिपुर के निवासियों के भीतर सांप्रदायिक आधार पर विभाजन काफी बढ़ गया है” क्योंकि हथियारबंद लोग खुलेआम सरकारी शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों के साथ सड़कों पर घूम रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान अस्थिर स्थिति पर प्रकाश डालने वाला एक ज्ञापन 24 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री को भेजा गया था, जिसमें घाटी के इलाकों में अफस्पा को फिर से लागू करने, मोरेह से राज्य पुलिस कमांडो को तत्काल वापस बुलाने पर तत्काल ध्यान देने और हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया था.

साथ ही कुकी उग्रवादी समूहों के साथ ऑपरेशन समझौते के निलंबन को रद्द करने पर 21 जनवरी को विधानसभा के सदस्यों द्वारा लिए गए “एकतरफा प्रस्ताव” पर ध्यान देने को कहा गया था.

दरअसल, अरामबाई तेंगगोल ने 24 जनवरी को मैतेई बहुल इम्फाल घाटी का प्रतिनिधित्व करने वाले 37 विधायकों और दो सांसदों को “शपथ ग्रहण” कराया और उनसे अपनी मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र से संपर्क करने को कहा.

मांगों में कुकी विद्रोही समूहों के साथ युद्धविराम समझौते को रद्द करना, कुकी को अनुसूचित जनजातियों की सूची से हटाना और विदेशियों का पता लगाने के लिए एनआरसी लाना शामिल है.

(Representative image)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments