नागालैंड में अगले नगर निकाय (Urban Local Body) चुनाव महिलाओं के 33 आरक्षण (33 percent reservation for women) के साथ ही होगा. इस सिलसिले में राज्य के मंत्रिमंडल ने फ़ैसला किया है.
नागालैंड में नगर निकाय चुनाव 26 जून 2024 को होगा. यह राज्य में पहला चुनाव होगा जिसमें महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी. नागालैंड में आख़री बार निगर निकाय चुनाव साल 2004 में हुए थे.
नागालैंड के नगर निकाय विभाग ने कहा है कि राज्य में शहरी निकायों के चुनाव का कैलेंडर तैयार हो चुका है. विभाग के अनुसार इस बार चुनाव नागालैंड नगर निकाय एक्ट 2023 के अनुसार होगा. चुनाव कार्यक्रम के अनुसार चुनाव के लिए पर्चा दाखिल करने का काम 7 से 11 जून तक किया जा सकेगा.
इसके अलावा नाम वापस लेने के लिए 26 जून तक का समय होगा. चुनाव कार्यक्रम के अनुसार 26 जून को मतदान होगा. 29 जून को वोटों की गिनती होगी.
नागालैंड में दीमापुर, कोहिमा और मोकोकचुंग तीन नगर निगम हैं. इसके अलावा राज्य में 36 नगर परिषद भी हैं.
कोहिमा नगर निगम के कुल 19 वार्ड में से 6 महिलाओं के लिेए रिजर्व हैं. दीमापुर के कुल 23 वार्ड में से 8 और मोकोचुंग में कुल 18 में से 6 वार्ड महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होंगे.
नागालैंड में नगर निगम में महिला आरक्षण क्यों मायने रखता है
जब देश की संसद में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने की बात हो रही है और देश भर में पंचायत से लेकर नगर निगम में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हैं, तब नागालैंड में यह फ़ैसला बड़ा क्यों है?
क्योंकि नागालैंड में पिछले दो दशक से महिलाओं को आरक्षण देने की सभी कोशिशें बेकार रही हैं. राज्य में साल 2001 में नगर निकाय एक्ट पास किया गया था. इस एक्ट के तहत महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रवाधान नहीं किया गया था.
इसी एक्ट के अनुसार साल 2004 में आख़री बार नागालैंड में नगर निगम के चुनाव हुए थे. हांलाकि संविधान के आर्टिकल 243T के तहत नगर निगम चुनाव में कम से कम 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करना ज़रुरी है.
नागालैंड में नगर निगम एक्ट को साल 2006 में संशोधित किया गया था. नागालैंड में जनजातीय संगठन (Tribal Councils) नगर निगम में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने का विरोध करते रहे हैं. इन संगठनों का कहना है कि महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान संविधान के आर्टिकल 371A का उल्लंघन करता है.
संविधान का आर्टिकल 371A नागालैंड के लिए विशेष प्रावधान करता है. इस आर्टिकल के अनुसार संसद का कोई भी क़ानून नागालैंड में नागा समुदाय के सामाजिक या धार्मिक नियम पर लागू नहीं हो सकता है. इस संवैधानिक प्रावधान के अनुसार नागा कस्टमरी लॉ के अनुसार ही नागा समाज चलाए जाने को मान्यता दी गई है.
इस लिहाज से नागालैंड की राजनीति में यह एक बहुत बड़ा बदलाव माना जाना चाहिए.