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ओडिशा सरकार ने 14 और जिलों में आदिवासियों के लिए विशेष विकास परिषदों का विस्तार किया

एसडीसी को जनजातीय सांस्कृतिक पहचान सुनिश्चित करने के लिए सांस्कृतिक मार्कर की बहाली, संरक्षण और विकास के लिए धन दिया गया है. जिसमें तीर्थ शिल्प, पवित्र उपवन, संगीत, कला, प्रदर्शन कला, हाट, संगीत वाद्ययंत्र, सहायक उपकरण, वेशभूषा, उपकरण और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति शामिल है.

नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) सरकार ने रविवार को ओडिशा (Odisha) में 14 और जिलों को विशेष विकास परिषदों (Special Development Councils) के दायरे में लाया जो आदिवासी संस्कृति के संरक्षण और प्रसार, आदिवासी ज्ञान की मान्यता और आदिवासी संस्कृति, परंपरा और प्रथाओं के डॉक्यूमेंटेशन में मदद करते हैं.

हालांकि, इस कदम को 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (Biju Janata Dal) द्वारा आदिवासियों को लुभाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

सितंबर 2017 में ओडिशा सरकार ने नौ आदिवासी बहुल जिलों में एसडीसी लॉन्च किया था, जहां 62 आदिवासी समुदाय और 13 विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह रहते हैं. नवीनतम समावेशन के साथ 30 में से 23 जिले अब एसडीसी के अंतर्गत शामिल किए गए हैं.

विशेष विकास परिषद के तहत लाए गए नए जिले हैं- बलांगीर, गंजम, बौध, बालासोर, संबलपुर, ढेंकनाल, कालाहांडी, नयागढ़, नुआपाड़ा, अंगुल, बारगढ़, जाजपुर, झारसुगुड़ा और देवगढ़.

एसडीसी को जनजातीय सांस्कृतिक पहचान सुनिश्चित करने के लिए सांस्कृतिक मार्कर की बहाली, संरक्षण और विकास के लिए धन दिया गया है. जिसमें तीर्थ शिल्प, पवित्र उपवन, संगीत, कला, प्रदर्शन कला, हाट, संगीत वाद्ययंत्र, सहायक उपकरण, वेशभूषा, उपकरण और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति शामिल है.

वे जनजाति-विशिष्ट और क्षेत्र-विशिष्ट पारंपरिक विरासत कृषि प्रणालियों और अन्य प्रथाओं को बढ़ावा दे सकते हैं जिनमें विकास और प्रतिकृति की क्षमता है.

एसडीसी के गठन को ऐतिहासिक कदम बताते हुए मुख्यमंत्री पटनायक ने कहा कि इन परिषदों में हर जनजाति का प्रतिनिधित्व होगा.

भुवनेश्वर के स्थानीय आदिवासी मैदान में एक कार्यक्रम के दौरान पटनायक ने कहा, “उनके पास अपनी अद्वितीय सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक क्षमताओं को संरक्षित, बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए निर्णय लेने की शक्तियां और वित्तीय संसाधन होंगे. इस बीच सरकार ने सभी एसडीसी के लिए अध्यक्ष नियुक्त किए हैं. 14 जिलों को शामिल करने के साथ 172 ब्लॉकों से अनुसूचित समुदायों के 80 लाख से अधिक लोगों को एसडीसी के तहत लाया गया है.”

सीएम नवीन पटनायक ने एसडीसी के शुभारंभ के बाद कहा कि राज्य सरकार आदिवासी संस्कृति के विकास के लिए 273 करोड़ रुपये खर्च करेगी. उन्होंने कहा, “जगन्नाथ संस्कृति, जो दुनिया में ओडिशा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है, राज्य में जनजातीय जीवन शैली से निकटता से जुड़ी हुई है.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति का सम्मान और वैश्विक भाईचारा आदिवासी संस्कृति की नींव है.

वहीं मुख्यमंत्री की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव, पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि भले ही एसडीसी बहुत पहले अस्तित्व में आया हो लेकिन परिषद की केवल एक बैठक आयोजित की जा सकती है. उन्होंने कहा कि बीजद ने विभिन्न जिलों में परिषद के अध्यक्ष के रूप में अपने नेताओं को समायोजित करने के लिए एसडीसी का गठन किया है.

हालांकि बीजेडी के वरिष्ठ नेता और एसडीसी के सलाहकार प्रदीप मांझी ने कहा कि परिषद सीएम नवीन पटनायक के मार्गदर्शन में आदिवासियों की बेहतरी के लिए काम कर रही है.

14 नए जिलों में एसडीसी के विस्तार को द्रौपदी मुर्मू को देश का पहला आदिवासी राष्ट्रपति बनाने से भुनाने की भाजपा की योजना का मुकाबला करने के लिए बीजद की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है.

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि राज्य सरकार के मन में इस फ़ैसले के पीछे चुनावी फ़ायदा लेने की मंशा होगी. इसके बावजूद यह फ़ैसला अच्छा ही कहा जाएगा, बशर्ते इसे लागू किया जाए.

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