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तेलंगाना: पानी दूषित होने के चलते आदिवासी कल्याण स्कूल में 100 से अधिक छात्र बीमार

एक स्वास्थ्य अधिकारी, जो पिछले दो दिनों से स्कूल में चल रहे एक राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK, a National Health Mission initiative) शिविर का हिस्सा है, ने मीडिया को बताया कि लगभग 250 छात्रों के मेडीकल टेस्ट किए गए थे, और लगभग 100 छात्रों जिनमें सर्दी, खांसी, बुखार और टाइफाइड जैसे लक्षण थे को दवाई दी गई.

स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि विकाराबाद ज़िले के कुलकाचारला में लड़कों के लिए तेलंगाना आदिवासी कल्याण आवासीय विद्यालय के 100 से अधिक छात्र सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षणों के साथ बीमार पड़ गए हैं. अधिकारियों ने इसके लिए संभवतः उनके पर्यावरण या पानी का दूषित होना बताया है.

छात्रों का आरोप है कि हॉस्टल में दिया जाने वाला पीने का पानी सुरक्षित नहीं है और गंदगी के कारण मच्छर भी बहुत ज्यादा हैं. छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें आसपास के खेतों में शौच करने के लिए मजबूर किया जा रहा था क्योंकि हॉस्टल के शौचालय खराब पड़े हैं.

यह राज्य के विभिन्न सामाजिक कल्याण आवासीय विद्यालयों से रिपोर्ट की गई घटनाओं की एक श्रृंखला में नया है, जहां कई छात्र फूड पॉइजनिंग सहित कई कारणों से बीमार पड़ गए हैं. विकाराबाद, आदिलाबाद, कुमुराम भीम आसिफाबाद, मंचेरियल, करीमनगर, राजन्ना सिरसिला, संगारेड्डी, कामारेड्डी और नलगोंडा सहित कई जिलों के आवासीय विद्यालयों से अलग-अलग कारणों से छात्रों के बीमार पड़ने की मामले रिपोर्ट किए गए हैं.  

एक स्वास्थ्य अधिकारी, जो पिछले दो दिनों से स्कूल में चल रहे एक राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK, a National Health Mission initiative) शिविर का हिस्सा है, ने मीडिया को बताया कि लगभग 250 छात्रों के मेडीकल टेस्ट किए गए थे, और लगभग 100 छात्रों जिनमें सर्दी, खांसी, बुखार और टाइफाइड जैसे लक्षण थे को दवाई दी गई.

उन्होंने कहा कि सभी छात्रों में आम लक्षण हल्का बुखार, सर्दी, खांसी, शरीर में दर्द, पीठ दर्द आदि है. उन्होंने कहा कि बीमारी का कारण पर्यावरण या पीने के पानी की समस्या हो सकती है.

आवासीय विद्यालय के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि वे पिछले कुछ समय से पेयजल आपूर्ति को लेकर समस्या का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “नहाने और कपड़े धोने के लिए हम एक झील के पानी का उपयोग करते हैं. पीने के लिए हम बोर के पानी का उपयोग करते हैं. हमें हाल ही में मिशन भगीरथ (राज्य सरकार की पेयजल आपूर्ति परियोजना) के तहत एक कनेक्शन मिला है लेकिन पानी की आपूर्ति अभी तक शुरू नहीं हुई है. वाटर प्यूरिफिकेशन के लिए एक आरओ (reverse osmosis) प्लांट है जिसे लगभग छह से सात साल पहले आवंटित किया गया था लेकिन इसकी मरम्मत की जरूरत है.”

उन्होंने कहा कि उपयोग की जा रही भूमिगत पानी की टंकी को सप्ताह में एक बार साफ किया जाता है लेकिन इस सप्ताह सफाई नहीं की गई. उन्होंने छात्रों को बाथरूम और शौचालय की सुविधा की कमी के लिए दोषी ठहराया, यह दावा करते हुए कि छात्रों ने दरवाजे तोड़ दिए और शौचालयों को क्षतिग्रस्त कर दिया क्योंकि वे खुले में शौच करना पसंद करते थे और ऐसा करने का बहाना ढूंढ रहे थे.

दूसरी ओर छात्रों ने आरोप लगाया कि खुले में शौच करने के कारण उन्हें खेतों में समस्या का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि ऐसा करने के लिए उनका पीछा किया गया और पीटा गया.

एक छात्र ने मीडिया से कहा, “हमें पानी और बाथरूम की समस्या हो रही है. करीब 150 छात्र बीमार हो चुके हैं. कक्षाओं के पास मच्छरों और दुर्गंध की भी समस्या है क्योंकि आसपास की सफाई ठीक से नहीं की जाती है जिससे कई लोग बीमार पड़ रहे हैं.”

(यह रिपोर्ट The News Minute में छपी है, Image Credit: The News Minute)

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