छत्तीसगढ़ शासन ने पद्मश्री हेमचंद मांझी (वैद्यराज) को वाय श्रेणी की सुरक्षा (Y category security) दी है. इस संबंध में गृह विभाग मंत्रालय महानदी भवन से आदेश जारी किए जा चुके हैं. राज्य शासन द्वारा प्रोटेक्शन रिव्यू ग्रुप की बैठक में श्री मांझी (नारायणपुर) को सुरक्षा श्रेणी प्रदान किए जाने की अनुशंसा और प्रदेश में वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य को दृष्टिगत रखते हुए, यह आदेश जारी किया है.
माओवादियों की लगातार धमकियों के बीच बस्तर के नारायणपुर जिले के वैद्य पद्मश्री हेमचंद मांझी ने घोषणा की थी कि वह अपना पुरस्कार लौटा देंगे. इसके साथ ही वे पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से इलाज बंद कर देंगे.
मांझी ने सोमवार को कहा कि माओवादियों ने उनके भतीजे कोमल, सागर और दुकान और दो अन्य (रिश्तेदारों) की हत्या कर दी है. हम डर के साये में जी रहे हैं. मेरे परिवार ने मुझसे दवाइयां बांटना बंद करने और पुरस्कार लौटाने को कहा है.
रविवार को स्थिति तब चरम पर पहुंच गई जब माओवादियों ने छोटेडोंगर क्षेत्र (नारायणपुर जिला मुख्यालय से 40 किमी और रायपुर से 260 किमी.) के चमेली और गरदांड गांवों में दो मोबाइल टावरों को आग लगा दी. इसके साथ ही वहां पर्चे बिखेरे, जिनमें मांझी पर ‘आमदई माइंस के एजेंट के रूप में काम करने’ का आरोप लगाया गया है. इसके साथ ही उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है.
आदिवासियों के लिए आजीवन चिकित्सा सेवा के लिए प्यार से ‘बस्तर के वैद्यराज’ कहे जाने वाले मांझी को पिछले महीने ही पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.
पद्मश्री हेमचंद मांझी को रेस्ट हाउस शिफ्ट किया गया है. दरअसल, किराए के क्वार्टर में सुरक्षा को लेकर समस्या आ रही थी. उनकी सुरक्षा के चलते ही उन्हें रेस्ट हाउस शिफ्ट किया गया है.
उल्लेखनीय है कि, नक्सलियों ने बीएसएनएल के टावर को आग के हवाले कर पोस्टर लगाया था. इस पोस्टर में पद्मश्री हेमचंद मांझी को जान से मारने की धमकी दी थी.
हेमचंद मांझी पर माइनिंग कंपनी के लिए दलाली का आरोप
माओवादियों ने हेमचंद मांझी पर आरोप लगाया है कि वह आमदानी खनन कंपनी के लिए काम कर रहे हैं. इसके साथ ही उन पर यह आरोप भी लगाया गया है कि इसके बदले में कंपनी उन्हें मोटी रकम दे रही है. यह पहली बार नहीं है जब माओवादियों ने हेमचंद मांझी पर यह आरोप लगाया है.
हेमचंद मांझी ने अपने उपर लगाये गए आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि वे सिर्फ़ जड़ी-बूटी और इलाज के बारे में जानते हैं. लोह की खानों से उनका कोई लेना देना नहीं है.
माओवादियों ने उनके भतीजे कोमल पर यह आरोप लगाया था कि उसे कंपनी से 16 करोड़ रूपया मिला था. इसलिए कोमल की हत्या कर दी गई थी. अब माओवादियों का आरोप है कि हेमचंद मांझी ने कंपनी से कम के कम 11 करोड़ रूपया लिया है.
अब हेमचंद मांझी को मजबूत सुरक्षा उपलब्ध करा दी गई है. उम्मीद है कि इस सुरक्षा के बाद वे पहले की तरह आदिवासियों का इलाज करते रहेंगे.