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पानी में फ्लोराइड की वजह से आदिवासियों में फैल रहा किडनी रोग, ऊपर से डायलिसिस यूनिट भी खराब

आंध्र प्रदेश की एक आदिवासी बस्ती ए कोंडुरु में पीने के पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने से किडनी रोग वहां के निवासियों में आम है. दो दिन पहले किडनी रोग से पीड़ित एक आदिवासी आदमी की मौत हो गई. अब प्रशासन अलर्ट पर है.

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि मौत अधिकारियों की लापरवाही और डायलिसिस यूनिट के खराब होने की वजह से हुआ. मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं.

चिमलपाडु पेड्डा गांव के आदिवासी जनपाल रामबाबू 2018 से किडनी की समस्या से पीड़ित थे. उनके परिवार ने आरोप लगाया कि उन्होंने किडनी रोगियों के कोटे के तहत पेंशन के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें पिछले फरवरी में इसके लिए इनेलिजिबल घोषित कर दिया गया था. फरवरी से 72 बार उनका डायलिसिस हुआ, लेकिन डायलिसिस यूनिट के बंद होने की वजह से पिछले 10 दिनों में उनकी हालत बिगड़ गई.

एक स्थानीय कार्यकर्ता, गोपी राजू ने कहा, “फरवरी में रामबाबू को किडनी रोगी के रूप में पेंशन के लिए नामांकित किया गया था. उन्हें सरकार से 10,000 प्रति माह पेंशन मिलने की संभावना थी, लेकिन उन्होंने अपने इलाज के लिए लगभग 30,000 खर्च किए. उनकी हालत बिगड़ गई और उन्होंने मदद मांगी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की.”

सीपीएम राज्य सचिवालय के सदस्य सी बाबू राव ने आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार ए कोंडुरु के निवासियों के लिए साफ़ पानी उपलब्ध कराने में भी विफल रहे हैं. बाबू राव ने कहा, “सैकड़ों लोग किडनी की समस्या से पीड़ित हैं. वे अभी भी फ्लोराइड युक्त पानी पी रहे हैं. सरकार हमारी समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढ रही है.”

आंध्र प्रदेश में 86 जिले फ्लोराइड युक्त पानी से प्रभावित

हाल ही में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी और लक्षद्वीप के लिए जेजेएम और एसबीएम योजनाओं का जायजा लेने के लिए बेंगलुरु में एक क्षेत्रीय बैठक आयोजित की गई थी.

बैठक में सामने आया कि आंध्र प्रदेश में कम से कम 86 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियां हैं, मध्य प्रदेश में 52, जबकि कर्नाटक के पूर्वी जिलों में यूरेनियम के कारण जल प्रदूषण हो रहा है.

बैठक के बाद जल शक्ति मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया था कि यह उनके संज्ञान में आया है कि आंध्र प्रदेश में 86 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियां हैं.

जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, “मंत्रालय प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. हम इन समस्याओं को दूर करने के लिए सभी वित्तीय और तकनीकी सहायता देंगे. देशभर के कुल 117 आकांक्षी जिलों में से 19 बैठक में शामिल राज्यों में आते हैं. 1 मार्च तक, तेलंगाना ने अपने सभी तीन आकांक्षी जिलों को नल के पानी का कनेक्शन दे दिया है, जबकि दूसरे राज्यों में, कवरेज 19 प्रतिशत से 52 प्रतिशत के बीच है.”

कार्यक्रम के तहत अब तक 92,366 ग्राम जल और स्वच्छता समितियों का गठन किया गया है और भाग लेने वाले राज्यों और पुडुचेरी के 82,646 ग्राम कार्य योजनाओं को विकसित किया गया है.

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