मणिपुर में चार महीने की शांति 8 मार्च को एक बार फिर टूट गई. कुकी समुदाय के एक प्रदर्शनकारी की मौत और 20 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद अभी भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं.
जो लोग घायल हुए हैं उनमें 27 सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं. इनमें दो की हालत गंभीर बताई जा रही है.
यह झड़प उस समय हुई जब प्रदर्शनकारियों ने घाटी और पहाड़ों के बीच वाहनों की आवाजाही रोकने की कोशिश की.
यह विरोध गृहमंत्री अमित शाह के हालिया निर्देश के खिलाफ था. उन्होंने 1 मार्च को समीक्षा बैठक के दौरान मणिपुर में नागरिक यातायात को बहाल करने के निर्देश दिए थे.
क्या है विवाद की जड़?
कुकी-ज़ो काउंसिल और आदिवासी नेताओं के मंच (ITLF) ने इस हिंसा के बाद मणिपुर के आदिवासी-बहुल क्षेत्रों में अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया.
कुकी नेताओं का कहना है कि जब तक पहाड़ी ज़िलों के लिए अलग प्रशासन की उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक वे हाईवे नहीं खोलने देंगे.
कुकी समुदाय को आशंका है कि मणिपुर घाटी के बहुसंख्यक मेतई समुदाय के लोगों की पहाड़ी इलाकों में आवाजाही शुरू होने पर उनकी पहचान और सुरक्षा को खतरा हो सकता है.
इसी आशंका के चलते वे पिछले 18 महीनों से घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों के बीच यातायात को बाधित किए हुए हैं.
हिंसा का घटनाक्रम
शनिवार को हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर जलाकर और पत्थरों व बैरिकेड्स के जरिए रास्ता रोके रखा.
सुरक्षा बलों ने इन अवरोधों को हटाकर वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित करने की कोशिश की. इसी दौरान वहां झड़पें हुईं.
मणिपुर पुलिस के अनुसार, हिंसा के दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने हथियारों का इस्तेमाल किया. पुलिस का कहना है कि उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए न्यूनतम बल का प्रयोग किया.
ITLF का आरोप और सरकार का रुख
ITLF ने हिंसा में मारे गए लालगौथांग सिंगसिट को श्रद्धांजलि देते हुए प्रदर्शनकारियों पर हुए बलप्रयोग की आलोचना की.
वहीं, मणुपुर पुलिस ने ITLF और कुकी छात्र संगठन के दावों को निराधार बताया.
पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों के बीच से कुछ असामाजिक तत्वों ने गोलीबारी की थी जिससे हालात बिगड़े.
यातायात पर असर
मणिपुर पुलिस ने हिंसा के बावजूद इंफाल-बिष्णुपुर-चुराचांदपुर मार्ग पर सुरक्षा बढ़ाकर कुछ ज़रूरी वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित की है.
इनमें मणिपुर राज्य परिवहन निगम की बस, चार एलपीजी कंटेनर और तीन तेल टैंकर शामिल थे.
हालांकि, कांगपोकपी जिले में एक बस पर भीड़ ने पथराव किया, जिससे वाहन क्षतिग्रस्त हो गया.
स्थिति अब भी गंभीर
फिलहाल, मणिपुर में स्थिति तनावपूर्ण है. कुकी-ज़ो परिषद और आईटीएलएफ़ ने अपने रुख पर कायम रहते हुए आदिवासी-बहुल क्षेत्रों में बंद जारी रखने का ऐलान किया है.
फिलहाल, मणिपुर में हालात संवेदनशील बने हुए हैं. सरकार को जल्दबाजी के बजाय ठोस रणनीति के साथ आगे बढ़ना चाहिए ताकि दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाल हो सके और शांति कायम की जा सके.