जम्मू-कश्मीर के आदिवासी कार्यकर्ता तालिब हुसैन, जिन्हें पुलिस ने कथित तौर पर लोगों को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था,के परिवार ने पुलिस के आरोपों को खारिज कर दिया है, और कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप “झूठे और निराधार” हैं.
2019 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में शामिल होने वाले तालिब हुसैन को उनके “फेसबुक वीडियो” के लिए बुक किया गया है. उस वीडियो हुसैन ने पिछले महीने अनंतनाग में सीआरपीएफ की गोलीबारी में एक आदिवासी युवक की मौत पर सवाल उठाए थे.
हुसैन के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (अफवाह या फर्जी खबर फैलाना) और 153 (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत 9 अक्टूबर, 2021 को एफआईआर दर्ज की गई. लेकिन परिवार का कहना है कि तालिब को 8 नवंबर को ही गिरफ्तार किया गया.
“हमें यह नहीं समझ आ रहा कि अगर 9 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई थी, तो पुलिस ने हमें एक महीने बाद भी सूचित क्यों नहीं किया?” तालिब के भाई मोहम्मद हारून कहते हैं.
हुसैन के वकील तारिक अहमद भट ने The Quint को बताया, “वह 8 नवंबर से पुलिस हिरासत में है और धर्म आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में उन पर मामला दर्ज किया गया है.”
परवेज अहमद बोकड़ा की हत्या
परवेज अहमद बोकड़ा इस साल 7 अक्टूबर को अनंतनाग में मोंगल पुल के पास सीआरपीएफ की गोलीबारी में मारे गए थे, जब उन्होंने रुकने का इशारा करने के बावजूद सुरक्षा चौकी से कथित तौर पर छलांग लगा दी थी.
The Quint के मुताबिक उनके परिवार ने सीआरपीएफ की कार्रवाई पर सवाल उठाया था. उनका सवाल है कि उसे मौके पर ही मारने के बजाय चेतावनी के शॉट क्यों नहीं चलाए गए.