लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे राष्ट्रीय कानून की ज़रूरत है जो दलितों और आदिवासियों को लक्षित करके बनाई गई योजनाओं के लिए बजट में एक उचित हिस्सा सुनिश्चित करे.
राहुल ने कहा कि यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) की पिछली सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर दलितों और आदिवासियों के लिए “उप-योजनाएं” पेश की थीं. लेकिन वर्तमान प्रशासन के तहत इन प्रावधानों को कमजोर कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप बजट का केवल न्यूनतम हिस्सा ही इन समुदायों तक पहुंच पाता है.
उन्होंने दलितों और आदिवासियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई योजनाओं के लिए बजट का उचित हिस्सा सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय कानून की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
उन्होंने दलित और आदिवासी समुदायों के शोधकर्ताओं, कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद यह टिप्पणी की.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘हाल ही में मेरी मुलाक़ात दलित और आदिवासी समुदायों से जुड़े शोधकर्ताओं, कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों से हुई. उन्होंने मांग की कि एक राष्ट्रीय कानून बनाया जाए, जो केंद्रीय बजट का एक निश्चित हिस्सा दलितों और आदिवासियों के लिए सुनिश्चित करे.’’
उन्होंने कहा कि कर्नाटक और तेलंगाना में ऐसा कानून पहले से लागू है और वहां इन समुदायों को ठोस लाभ मिला है.
उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया कि दलितों और आदिवासियों को शासन में सार्थक प्रतिनिधित्व और आवाज़ मिले.
उन्होंने कहा कि दलित और आदिवासी लंबे समय से हक़ और प्रतिनिधित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.
राहुल का कहना है, ‘‘आज हमें यह सोचने की ज़रूरत है कि उन्हें सत्ता में भागीदारी और शासन में आवाज़ देने के लिए और क्या ठोस कदम उठाए जा सकते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक ऐसे राष्ट्रीय कानून की ज़रूरत है जो दलितों और आदिवासियों को लक्षित करके और उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई गई योजनाओं के लिए बजट में एक उचित हिस्सा सुनिश्चित करे.’’
(Image credit: X/@RahulGandhi)