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वक्फ विधेयक आदिवासियों के हितों की रक्षा करेगा, उनकी भूमि पर अवैध कब्जे को रोकेगा: विष्णु देव साय

बुधवार को लोकसभा में पास होने के बाद बृहस्पतिवार को राज्यसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 को लंबी चर्चा के बाद 95 के मुकाबले 128 मतों से मंजूरी दे दी.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) ने शुक्रवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित होने पर बधाई दी. साथ ही सराहना करते हुए कहा कि यह विधेयक आदिवासियों की भूमि पर अवैध कब्जे को रोकेगा और अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा करेगा.

विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘वक्फ संशोधन विधेयक के दोनों सदनों से पारित होने पर बधाई. यह विधेयक जनजातीय अधिकारों और उनके हितों की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है.”

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए साय ने कहा कि विधेयक में प्रावधान है कि संविधान की 5वीं और 6वीं अनुसूची (आदिवासी क्षेत्र) के अंतर्गत आने वाली किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड से संबंधित घोषित नहीं किया जा सकेगा और इससे आदिवासी भूमि पर अवैध कब्जे पर प्रभावी रूप से रोक लगेगी तथा आदिवासी संस्कृति की रक्षा होगी.

उन्होंने आगे कहा, “विपक्ष ने लगातार वक्फ (संशोधन) विधेयक पर मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने की कोशिश की है. यह बेहद निंदनीय है. यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ नहीं है बल्कि न्याय और समानता के मूल्यों को मजबूत करता है. यह गरीब अल्पसंख्यकों के हित में है.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है.

उन्होंने कहा, “यह विधेयक भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती का प्रमाण है. जिस तरह से इस विधेयक पर व्यापक चर्चा हुई है, वह हमारे संसदीय विमर्श की परिपक्वता को दर्शाता है.”

साय ने आगे कहा, ‘‘वक्फ कानून में संशोधन इसकी संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. इस विधेयक का उद्देश्य धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुधार और न्यायिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना है.”

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद ने मंजूरी दे दी है. राज्यसभा ने गुरुवार को 13 घंटे से अधिक समय तक चली बहस के बाद इस विवादास्पद विधेयक को मंजूरी दे दी. राज्यसभा में इस विधेयक को 128 सदस्यों ने पक्ष में और 95 ने विरोध में वोट दिया.

वहीं बुधवार को लोकसभा में इसे पारित कर दिया गया, जिसमें 288 सदस्यों ने इसका समर्थन किया और 232 ने इसका विरोध किया.

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