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आदिवासी आबादी के लिए कानून लागू करने में राज्यों की सुस्ती- गिरिराज सिंह

गिरिराज सिंह ने कहा कि इन राज्यों के राज्यपालों से मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और विभागीय सचिवों के साथ बैठक कर पेसा नियम बनाने में पहल करने का अनुरोध किया. साथ ही सिंह ने कहा कि पेसा नियम लागू करने वाले छह राज्यों के अनुभव अन्य राज्यों के साथ साझा किए जाने चाहिए.

आदिवासी समाज के रीति रिवाज और उनकी प्राचीन संस्कृति को संजोए रखने और उनकी माली हालत में सुधार के लिए संसद से पारित स्थानीय पंचायतों को अधिकार देने वाले पेसा कानून को अब भी प्रमुख आदिवासी बहुल राज्यों में लागू नहीं किया गया है.

पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996 (पेसा) के तहत छह राज्यों द्वारा अधिसूचित किए गए हैं. लेकिन बड़े पैमाने पर आदिवासी आबादी वाले चार राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा ने अभी तक ऐसा नहीं किया है.

यह खुलासा केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने राष्ट्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज संस्थान और जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा आयोजित पेसा पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में किया. इस सम्मेलन में पेसा कानून के उन सभी प्रावधानों पर चर्चा हुई जिन्हें लागू करने में राज्य आनाकानी कर रहे हैं.

गिरिराज सिंह ने कहा कि छह राज्यों आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और तेलंगाना ने पेसा नियमों को अधिसूचित किया है. लेकिन चार राज्यों ने अभी तक ऐसा नहीं किया है. जनजातीय आबादी के हितों की रक्षा के लिए इस अधिनियम पारित किया गया था.

उन्होंने कहा कि वो और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा चार राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के साथ इस मामले पर चर्चा करेंगे जिन्होंने अभी तक पेसा नियमों को अधिसूचित नहीं किया है.

गिरिराज सिंह ने कहा कि इन राज्यों के राज्यपालों से मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और विभागीय सचिवों के साथ बैठक कर पेसा नियम बनाने में पहल करने का अनुरोध किया. साथ ही सिंह ने कहा कि पेसा नियम लागू करने वाले छह राज्यों के अनुभव अन्य राज्यों के साथ साझा किए जाने चाहिए.

दरअसल 1996 में संसद से प्रोविजन ऑफ द पंचायत (एक्सटेंशन ऑफ शेड्यूल एरिया) एक्ट पेसा पारित किया गया था. इसका उद्देश्य आदिवासी समाज की प्राचीन संस्कृति को बनाए रखने के साथ उनकी माली हालत में सुधार करना था.

इसे उन सभी 10 आदिवासी बहुल राज्यों को लागू करने के लिए भेज दिया गया. लेकिन हालत यह हुई कि झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में यह कानून आज तक लागू नहीं किया गया है. पेसा को देश के 700 से ज्यादा जातीय समूहों और 10 करोड़ से अधिक की आबादी के लाभ के लिए 22,141 ग्राम पंचायतों को ध्यान में रखकर पारित कराया गया था.

गिरिराज सिंह ने कुछ आशंकाएं जाहिर करते हुए कहा कि ग्राम पंचायतों और ग्राम सभाओं को सीधे वित्त आयोग से अनुदान प्राप्त होता है. लेकिन उन राज्यों को काफी दिक्कतें हुई थीं जहां इन स्थानीय निकायों का चुनाव ही नहीं हुआ था.

उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में पेसा कानून लागू न करने वाले राज्यों के अनुदान को आयोग जारी करने से मना कर दे तो बड़ी दिक्कत हो सकती है. इसलिए उन्होंने राज्यों से इसे तत्काल लागू कर उन्हें अधिकार सौंप देने की अपील की.

वहीं केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी स्थानीय निकायों को मजबूत बनाने के लिए पेसा कानून को लागू करने पर जोर दिया. उन्होंने इसके लिए राज्यों के अफसरों को कानून के बारे में लोगों को जागरूक करने को कहा. मुंडा ने राज्यों से सुविधा के हिसाब से नहीं बल्कि जरूरत के हिसाब से बदलाव लाने की अपील की.

(Image Credit: PIB)

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