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आख़िरकार तेलंगाना सरकार ने आदिवासियों को भूमि का हक़ देने की प्रक्रिया शुरू की

आदिवासियों को वन भूमि पर स्वामित्व अधिकार प्रदान करने की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने तत्कालीन आदिलाबाद जिले में वन, पंचायत राज और राजस्व अधिकारियों के साथ एक सर्वेक्षण शुरू किया.

आख़िरकार तेलंगाना सरकार ने अब तक के सबसे पेचीदा मुद्दों में से एक का समाधान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार ने आदिवासियों को उस भूमि पर अधिकार देने का फैसला किया है जिस पर वे पीढ़ियों से खेती कर रहे थे.

उम्मीद है कि एक बार इस मुद्दे का समाधान हो जाने के बाद आदिवासियों और वन विभाग के बीच होने वाले संघर्ष समाप्त हो जाएंगे क्योंकि भूमि का स्पष्ट सीमांकन होगा. वन कर्मचारियों को पता चलेगा कि कौन-सी जमीन आदिवासियों की है और बाद वाले को पता होगा कि कौन सी वन भूमि है.

तत्कालीन आदिलाबाद जिले में वन भूमि में खेती का क्षेत्र तब से बढ़ा है जब तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार ने 2005 से पहले भूमि में फसल उगाने वाले पात्र किसानों को पट्टे जारी किए थे. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, उस समय 70 हज़ार 53 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 37 हज़ार 324 को जिला-स्तरीय समितियों द्वारा अनुमोदित किया गया था. क्षेत्रफल की सीमा 1.36 लाख एकड़ थी.

इस बार 3.1 लाख एकड़ के विस्तार के लिए प्राप्त आवेदनों की संख्या 83 हज़ार थी. तत्कालीन आंध्र प्रदेश की तुलना में प्राप्त आवेदनों की संख्या के मुकाबले काफी अधिक है.

प्राप्त आवेदनों में से सबसे ज्यादा कुमुरांभीम आसिफाबाद जिले से हैं. उनकी संख्या 31 हज़ार 633 है, इसके बाद आदिलाबाद से 24 हज़ार 561 आवेदन, मनचेरियल से 11 हज़ार 938 और निर्मल से 14 हज़ार 868 आवेदन प्राप्त हुए हैं. ये आवेदन 3.01 लाख एकड़ की सीमा के लिए हैं.

आदिवासियों को वन भूमि पर स्वामित्व अधिकार प्रदान करने की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने तत्कालीन आदिलाबाद जिले में वन, पंचायत राज और राजस्व अधिकारियों के साथ एक सर्वेक्षण शुरू किया.

तीनों विभागों की ओर से नियुक्त सर्वे टीमों ने जमीनी स्तर पर सर्वे पूरा कर उन किसानों की पहचान की जो जमीन पर खेती कर रहे हैं और कौन सी जमीन खाली है. अधिकारियों ने विवरण एकत्र किया और उन्हें ऐप में अपलोड किया जो आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा प्रदान किया गया है.

कर्मचारी ग्राम सभा के समय डेटा दिखाएंगे और सभी की सहमति से स्वामित्व प्रदान करते हुए प्रस्ताव पारित करेंगे. ग्राम-स्तरीय ग्राम सभा संकल्प प्रति जो पारित की जाती है को अंतिम रूप देने के लिए जिला-स्तरीय समिति को भेजा जाएगा.

भूमि सर्वेक्षण पूरा होने के साथ ही वन अधिकारियों ने अधिकार प्रमाण पत्र बांटने के लिए ग्राम सभाएं आयोजित करना शुरू कर दिया है. ऐसा ही एक आयोजन कुमुरांभीम आसिफाबाद जिले के जैनूर मंडल के अंतर्गत आने वाली मरलवई ग्राम पंचायत में हुआ.

वन अनुभाग अधिकारी हरिता ने कहा कि प्रमाण पत्र उन लोगों को सौंपे जा रहे हैं जो 2005 से खेती कर रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपनी चिंताओं को ग्राम पंचायत तक पहुंचाने का आग्रह किया. इस कार्यक्रम में सरपंच कनक प्रतिभा वेंकटेश्वर राव, पंचायत सचिव और अन्य वन अधिकारियों ने भी भाग लिया.

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