तेलंगाना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि हॉस्टल की सुविधा वाले आदिवासी आवासीय स्कूलों को अगले चार हफ़्तों तक न खोला जाए. यह स्कूल सामाजिक और आदिवासी कल्याण विभागों द्वारा चलाए जाते हैं.
कोर्ट के इस निर्देश से पहले, राज्य सरकार ने बुधवार से सभी सरकारी और निजी स्कूलों को फिर से खोलने का फ़ैसला किया था.
सरकार के इस फ़ैसले को चुनौती देते हुए एक आम नागरिक मंडपति बाला कृष्ण ने जनहित याचिका दायर की. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सरकार का फैसला ‘मनमाना’ है, और संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के उल्लंघन करता है. उन्होंने इस फ़ैसले को रद्द किए जाने की मांग की.
दोनों तरफ़ की बात सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि हॉस्टल की सुविधा वाले किसी भी सरकारी आवासीय स्कूल को अगले आदेश तक न खोला जाए. बेंच ने जानना चाहा है कि इन आवासीय स्कूलों के छात्रों को कोविड-19 संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए स्कूलों में क्या चिकित्सा ढांचा और बैकअप सुविधाएं मौजूद हैं.
सरकार की तरफ़ से एडवोकेट जनरल बी एस प्रसाद के स्कूल खोले जाने का अनुरोध किए जाने पर कोर्ट ने कहा, “आपने इतने लंबे समय तक इंतजार किया है. हमने आपसे सिर्फ़ यह समझने के लिए चार हफ्तों के लिए रुकने का निर्देश दिया है कि कोविड-19 के प्रसार के मद्देनज़र छात्रों की सुरक्षा के लिए किस तरह की सावधानियां बरती जा रही हैं.”
एक्टिंग चीफ़ जस्टिस ने यह भी स्पष्ट किया कि बाकि के सरकारी और निजी स्कूल (जहां छात्र डे स्कॉलर हैं) बुधवार से ऑफ़लाइन क्लास के लिए खोले जा सकते हैं. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि किसी भी छात्र को स्कूल प्रबंधन द्वारा स्कूल आने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
सभी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि छात्रों को स्कूल भेजते समय उनके माता-पिता से किसी अंडरटेकिंग पर ज़ोर न दिया जाए. इसके अलावा सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह बुधवार से न खुलने वाले किसी भी निजी स्कूल के खिलाफ़ कोई दंडात्मक कार्रवाई न हो.
स्कूलों को यह भी निर्देश है कि वह एक एसओपी (Standard Operating Procedure) तैयार करें, जिसका प्रचार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से होना चाहिए.
इसके अलावा अधिकारियों को बच्चों की देखभाल के लिए हर ज़िले में मौजूद बाल रोग विशेषज्ञों, बच्चों के लिए अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता, और बच्चों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में उपलब्ध कराई जाने वाली दूसरी चिकित्सा सुविधाओं का विवरण भी दाखिल करना होगा.