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सिलगेर फ़ायरिंग में मारे गए लोगों के परिवारों की मदद के लिए सर्व आदिवासी संगठन का प्रदर्शन

आदिवासी समाज ने नेताओं ने बताया कि बस्तर के सिलगेर में निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों की पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी. उनके परिजनों को उचित मुआवजा एवं शासकीय नौकरी देने की मांग की जा रही है.

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने सोमवार को अलग अलग ज़िलों में धरना प्रदर्शन किया. कई जगहों पर इस संगठन के लोगों ने रास्ते और सड़कों को जाम कर दिया. प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों ने बताया कि उनकी राज्य सरकार से 12 सूत्रिय मांगे हैं. 

पुलिस के अनुसार प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ बल का प्रयोग नहीं करना पड़ा. प्रशासन ने धरना प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाबुझा कर रास्ता खाली करा लिया. 

इस दौरान स्थानीय मीडिया ने ख़बर दी है कि सर्व आदिवासी समाज के कई नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ बालोद रेलवे ट्रेक पर धरना दे दिया. इस वजह से दुर्ग बालोद पैसेंजर ट्रेन को रास्ते में ही रोक दिया गया. 

राजनंद गांव से भी ख़बर मिली है कि यहां पर प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे को जाम कर दिया. समाचारों के अनुसार हज़ारों आदिवासी अपनी मांगों के समर्थन में सुबह क़रीब 11 बजे नागपुर-रायपुर नेशनल हाइवे रोड पर बैठ गए. 

नेशनल हाईवे पर प्रदर्शन का स्थान चिचोला बताया गया है. 

आदिवासी समाज ने नेताओं ने बताया कि बस्तर के सिलगेर में निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों की पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई थी. उनके परिजनों को उचित मुआवजा एवं शासकीय नौकरी देने की मांग की जा रही है. 

इसके अलावा यह भी मांग की गई है कि बस्तर में नक्सल समस्या का स्थायी समाधान करने का रास्ता निकाला जाए. इसके अलावा पदोन्नति में आरक्षण देने, शासकीय नौकरी में बैकलॉग एवं नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू करने जैसी मांगे भी की गई.

इन प्रदर्नशकारियों के मांगपत्र संविधान की पांचवीं अनुसूची में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भर्ती में शत-प्रतिशत आरक्षण लागू करने की मांग भी रखी गई.

सर्वआदिवासी संगठन ने कहा कि माइनिंग के लिए जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाने तथा गौण खनिज का पूरा अधिकार ग्राम सभा को देने, फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारियों पर कार्रवाई करने आदि की मांग को लेकर भी यह आर्थिक नाकेबंदी और चक्काजाम किया गया.

इस प्रदर्शन में 18 जनजातियों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने और छात्रवृत्ति योजना हेतु आय सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने की मांग भी की गई. 

आदिवासी समाज पर जातिगत अत्याचार करने वाले को कड़ी सजा देने, आदिवासी बेरोजगारों के लिए रोजगार का अवसर प्रदान करने, मोहला-मानपुर-चौकी जिला को आदिवासी जिला घोषित करने की मांग भी 12 सूत्रिय मांग पत्र में शामिल थी. 

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