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तेलंगाना: आदिलाबाद और आसिफाबाद में आदिवासी महिलाएं पेयजल संकट से जूझ रही हैं

गर्मियां शुरू होते ही पीने के पानी का संकट भी शुरू हो जाता है. ये समस्या दूरदराज के आदिवासी इलाकों के लिए और भी मुसीबत बन जाती है क्योंकि ग्रामीणों को पानी के लिए चिलचिलाती गर्मी में कई किलोमीटर की दूर तय करनी होती है.

ऐसे ही मामले तेलंगाना के आदिलाबाद और कुमराम भीम आसिफाबाद जिलों में देखने को मिल रहे हैं.

दोनों जिलों के अलग-अलग हिस्सों में व्याप्त पेयजल संकट का खामियाजा आदिवासी महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है.

विभिन्न आदिवासी समुदायों की महिलाएं अपने घरों से दूर स्थित खुले कुओं और गांवों के बाहरी इलाकों में स्थित बोरवेल से पीने का पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय कर रही हैं.

इन महिलाओं की मुश्किलें तब और बढ़ जाती है जब वे चिलचिलाती गर्मी में अपने सिर पर पानी से भरे बर्तन ढो रही हैं. ये दृश्य दर्शाते हैं कि दोनों जिलों के कई गांवों में पेयजल संकट महिलाओं को किस तरह प्रभावित कर रहा है.

मिशन भागीरथ योजना के तहत जल आपूर्ति न होने के कारण गंभीर पेयजल संकट का सामना कर रहे निवासियों के पास पिछले कुछ दिनों से इंदरवेल्ली मंडल के अंधगुडा गांव के अंतर्गत ममीडिगुडा बस्ती में एक खेत में स्थित बोरवेल से कुछ घड़े पीने का पानी लाने के लिए दो किलोमीटर पैदल चलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

इंदरवेल्ली मंडल के थोयागुडा गांव की आदिवासी महिलाओं ने हाल ही में एक खेत में लगे बोरवेल से पीने के पानी के बर्तन लाने के कारण सुर्खियां बटोरीं.

ये आदिवासी महिलाएं सिर्फ़ एक बर्तन पानी लाने के लिए दो किलोमीटर से ज़्यादा पैदल चलीं. जबकि इस गांव के पुरुष बैलगाड़ी में प्लास्टिक के ड्रम भरकर पानी ले गए.

इन आदिवासियों की दुर्दशा का कारण मिशन भगीरथ के ज़रिए पीने के पानी की सही आपूर्ति को माना जा सकता है.

इसी तरह दूरदराज के और पहाड़ी इलाकों में रहने वाली आदिवासी महिलाएं अपनी जान जोखिम में डालकर जंगलों में स्थित नदियों के किनारे गड्ढों या चेलमा से पानी भर रही हैं, क्योंकि जंगली जानवरों के हमले का ख़तरा बना रहता है.

पेयजल योजना की इलेक्ट्रिक मोटरें खराब होने से उन्हें मौसमी स्रोतों से पानी भरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है.

गांव के एक बुजुर्ग ने कहा, “आमतौर पर गांव में पीने के पानी की समस्या से लगभग हर गर्मियों में पुरुषों से ज़्यादा महिलाएं प्रभावित होती हैं. उन्हें न सिर्फ अपने परिवार की पीने की ज़रूरतों के लिए बल्कि खाना पकाने, बर्तन साफ करने और कपड़े धोने के लिए हर दिन पानी के बर्तन लेकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. यह बेहद कठिन है लेकिन क्या ही कर सकते हैं.”

इस पेयजन संकट की समस्या को लेकर पिछले महीने वानकीडी मंडल के दूरदराज के एनोली गांव की महिलाओं और पुरुषों ने अपने विरोध प्रदर्शन के तहत आईडीओसी के सामने धरना दिया.

उन्होंने अधिकारियों से पेयजल संकट को दूर करने के लिए कदम उठाने की मांग की. लेकिन अब तक उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला गया है.

निवासियों ने अधिकारियों से जल्द से जल्द उनकी चुनौती का समाधान करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि अगर पारा जल्दी ही बढ़ गया तो वे लंबी दूरी तय नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि गर्मियों में खेत से पानी का एक बर्तन अपने घर तक लाना एक बहुत बड़ा और मुश्किल काम है.

(Image credit: Telangana Today)

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