आदिवासियों और आदिवासी क्षेत्रों के लिए अलग अलग मंत्रालयों की योजनाओं और काम पर निगरानी का काम जनजातीय कार्य मंत्रालय का है. लेकिन इस काम के लिए मंत्रालय ने जो साथ पद सृजित किए थे वो ख़ाली ही पड़े हैं.
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने यह माना है कि मंत्रालय ने ट्राइबल सब प्लान (Tribal Sub Plan) और शेड्यूल ट्राइब कॉम्पोनेन्ट (Schedule Tribe Component) की निगरानी के लिए जो 7 पद का प्रावधान किया गया है, उसमें से 6 पद पर नियुक्ति ही नहीं हुई है.
मंत्रालय ने संसद में यह जानकारी दी है. इस जानकारी में कहा गया है कि इन पदों पर नियुक्ति का प्रस्ताव केन्द्रीय सचिवालय सेवा के तहत कार्मिक मंत्रालय (DoPT) के पास विचाराधीन है.
2017 में ऐलोकेशन ऑफ़ बिज़नेस रूल्स में संशोधन के बाद यह तय हुआ था कि जनजातीय कार्य मंत्रालय आदिवासियों से जुड़ी योजनाओं के ख़र्च की निगरानी करेगा.
इस बदलाव के तहत केन्द्र के सभी मंत्रालयों की आदिवासी आबादी से जुड़ी अलग अलग योजनाओं और उस पर होने वाले ख़र्च की निगरानी की ज़िम्मेदारी जनजातीय मंत्रालय को दी गई थी.
जनजातीय कार्य मंत्रालय का काम है कि अलग अलग केन्द्रीय मंत्रालय आदिवासी आबादी और अनुसूची 5 के इलाक़ों में जो योजनाएँ चला रहे हैं उन पर नज़र रखे.
उसके काम में यह भी शामिल है कि वो इन योजनाओं पर किए जाने वाले ख़र्च और बजट ऐलोकेशन की निगरानी करे.
मंत्रालय को यह भी देखना है कि ज़मीन पर ट्राइबल सब प्लान या शेड्यूल ट्राइबल कॉम्पोनेन्ट का पैसा कैसे इस्तेमाल हो रहा है.
केन्द्र सरकार के 37 अलग अलग मंत्रालय हैं जो शेड्यूल ट्राइब कॉम्पोनेन्ट फंड का इस्तेमाल करते हैं. इस फंड से आदिवासी आबादी और अनुसूची 5 और अनुसूची 6 के इलाक़ों में अलग अलग योजनाएँ चलाई जाती हैं.
शेड्यूल ट्राइबल कॉम्पोनेन्ट और ट्राइबल सब प्लान के तहत अलग अलग केन्द्रीय मंत्रालयों के लिए आदिवासी आबादी और शेड्यूल एरियाज़ के लिए अलग से धन की व्यवस्था करनी होती है. इस धन का उपयोग आदिवासियों से जुड़ी योजनाओं पर ही किया जाना चाहिए.
इस प्रावधान के तहत हर मंत्रालय को कम से कम 4.3 प्रतिशत से लेकर 17.5 प्रतिशत कुल ख़र्च का आदिवासी आबादी के लिए ख़र्च करना चाहिए.