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जनजातीय मामलों के मंत्री ने NDA सरकार की 11 वर्षों की उपलब्धियां गिनाई

ओराम ने कहा कि देश में जनजातियों के विकास के क्षेत्र में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और उनका मंत्रालय देश में विभिन्न जनजातियों के विकास के क्षेत्र में अंतर को पाटने के लिए चौतरफा पहल कर रहा है.

केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम (Jual Oram) ने सोमवार (26 मई, 2025) को केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार (2014-2025) के पिछले 11 वर्षों में जनजातीय मामलों के मंत्रालय की पहल की “प्रमुख उपलब्धियों” पर एक बुकलेट जारी की.

जिसमें सरकार द्वारा आदिवासी प्रतीक बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को ‘जनजातीय गौरव वर्ष’ (Janjatiya Gaurav Varsh) के रूप में घोषित किया जाना शामिल है. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री जनमन, सिकल सेल उन्मूलन मिशन, धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और एकलव्य विद्यालयों जैसी विभिन्न जनजातीय-केंद्रित पहलों पर प्रकाश डाला.

ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर आदिवासी समुदायों के चिंताओं की जांच जारी

बुकलेट के लॉन्च के अवसर पर ओराम ने 72 हज़ार करोड़ रुपये की ग्रेट निकोबार द्वीप इंफ्रास्ट्रक्चर पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि वन अधिकारों के कथित उल्लंघन की शिकायतें और वन क्षेत्र परिवर्तन के लिए ग्राम सभा की सहमति प्राप्त करने की प्रक्रिया पर विवाद की जांच की जा रही है.

जब ओराम से पूछा गया कि क्या उनका मंत्रालय ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना के बारे में आदिवासी समुदायों की शिकायतों की जांच कर रहा है, तो उन्होंने कहा, “हां, इसकी जांच की जा रही है. मैंने संसद में भी एक सवाल का जवाब दिया था. हम वर्तमान में उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं. उसके बाद हम कार्रवाई का तरीका तय करेंगे.”

उन्होंने कहा कि ग्रेट निकोबार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के बारे में ग्रेट निकोबार द्वीप के जनजातीय समुदायों द्वारा उठाई गई चिंताओं की “जांच की जा रही है.”

मंत्री ने कहा, “इन मुद्दों पर कई पहलू हैं, एक यह कि क्या ग्राम सभा आयोजित की गई थी, क्या उनकी सिफारिशें प्राप्त हुईं और क्या प्रक्रिया का पालन किया गया. दूसरा पहलू पर्यावरण प्रभाव आकलन है. हमारे मंत्रालय का कार्यक्षेत्र केवल ग्राम सभा की प्रक्रिया से संबंधित है और अन्य हलुओं को अन्य मंत्रालयों द्वारा निपटाया जाता है.”

ग्रेट निकोबार द्वीप पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट 2022 में प्रारंभिक मंजूरी मिलने के बाद से ही विवादों में घिरी हुई है.

जब कहा गया कि परियोजना को स्थानीय आदिवासियों की सहमति मिल गई है, उसके तुरंत बाद लिटिल और ग्रेट निकोबार की जनजातीय परिषद ने अपनी सहमति वापस ले ली.

जनजातीय परिषद ने नवंबर 2022 में जनजातीय रिजर्व के 84.1 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को गैर-अधिसूचित करने और 130.75 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र को बदलने के लिए अपना अनापत्ति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया था.

आरोप लगाया था कि यह द्वीप के स्वदेशी निवासियों की सहमति के बिना और जानकारी छिपाकर किया गया था.

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) ने भी बाद में सहमति प्रक्रिया और परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव के लिए उचित प्रक्रिया पर चिंता जताई थी.

NDA की उपलब्धियों पर बोले ओराम

पिछले 11 वर्षों में जनजातीय मामलों के मंत्रालय की उपलब्धियों पर बोलते हुए जुएल ओराम ने कहा कि इसके लिए बुकलेट उपलब्ध है लेकिन मेरे लिए इस प्रगति का उल्लेख करना अहम है.

उपलब्धियों पर बुकलेट में सरकार ने 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक जनजातीय गौरव वर्ष की घोषणा के साथ शुरुआत की है. जिसे राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कार्यक्रमों के साथ चिह्नित किया जा रहा है.

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के घोषणापत्र में यह एक प्रमुख वादा था.

बुकलेट को ध्यान से पढ़ते हुए मंत्री ने प्रधानमंत्री जनमन कार्यक्रम पर बात की. जो एक बुनियादी योजना को पूरा करने वाला पैकेज है, जो देश भर के 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 75 पीवीटीजी समुदायों को आवास, स्वास्थ्य सेवा, पोषण, सड़क संपर्क, बिजली और पेयजल संबंधी सुविधाएँ प्रदान करता है.

मंत्रालय ने कहा कि पैकेज के तहत 4.35 लाख घरों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 1.04 लाख घर पूरे हो चुके हैं.

1.4 लाख से ज़्यादा घरों के विद्युतीकरण को मंज़ूरी दी गई है, जिनमें से 1.05 लाख घरों का विद्युतीकरण पूरा हो चुका है.

मंत्रालय ने कहा कि वन धन विकास केंद्र, व्यावसायिक प्रशिक्षण सत्र, मोबाइल मेडिकल यूनिट और बहुउद्देशीय केंद्रों की स्थापना सहित अन्य हस्तक्षेप भी शुरू किए गए हैं.

जुएल ओराम ने धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के बारे में भी बताया, जो कि प्रधानमंत्री जनमन पैकेज की तर्ज पर तैयार की गई योजना है. जिसमें 17 संबंधित मंत्रालयों को शामिल करके 25 हस्तक्षेपों के साथ आदिवासी गांवों को संतृप्त किया गया है.

मंत्रालय ने एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना पर भी प्रकाश डाला, जिसे पिछले आधा दर्जन वर्षों में नया रूप दिया गया है और केंद्रीकृत किया गया है.

मंत्रालय की बुकलेट में अनुसूचित जनजाति और अन्य वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम या एफआरए के बारे में भी बताया गया है.

इसमें “सामुदायिक वन अधिकार टाइटल के वितरण में उल्लेखनीय 412.71% की वृद्धि हासिल करने, जिससे आदिवासी स्वशासन को मजबूती मिली है” की बात कही गई है.

इसके अलावा बुकलेट में मंत्रालय की अन्य योजनाओं का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देना, ‘जनजातीय स्वास्थ्य संवर्धन’ के लिए मिशन, जनजातीय शोध संस्थानों को सहायता और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों पर विशेष ध्यान देना शामिल है.

ओराम ने कहा कि देश में जनजातियों के विकास के क्षेत्र में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी और उनका मंत्रालय देश में विभिन्न जनजातियों के विकास के क्षेत्र में अंतर को पाटने के लिए चौतरफा पहल कर रहा है.

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