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तमिल नाडु: अब नहीं भटकेंगे आदिवासी जंगल में पानी के लिए, बस्तियों तक पहुंची पाइपलाइन

आदिवासी बस्तियों तक इस सुविधा के पहुंचने से मानव-पशु संघर्ष को कम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि यह अक्सर तब होता है जब बस्ती के लोग पानी की तलाश में जंगल में घूमते हैं.

आनमलई टाइगर रिजर्व (एटीआर) के अंदर बसे आदिवासी अब थोड़ा आराम से जी सकते हैं.

तमिल नाडु वन विभाग ने दिसंबर 2021 में आदि द्रविड़ और आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा सैंक्शन किए गए 2.83 करोड़ का इस्तेमाल कर एटीआर में बसी 19 आदिवासी बस्तियों में से 11 तक पीने योग्य पानी पहुंचा दिया है. बाकी बस्तियों तक भी पानी जल्दी पहुंच जाएगा.

एटीआर के डिप्टी फील्ड डायरेक्टर एमजी गणेशन का मानना है कि आदिवासी बस्तियों तक इस सुविधा के पहुंचने से मानव-पशु संघर्ष को कम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि यह अक्सर तब होता है जब बस्ती के लोग पानी की तलाश में जंगल में घूमते हैं.

अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “बस्तियों में सोलर स्ट्रीट लाइटें भी लगाई जा रही हैं, और इससे निवासियों के जंगली जानवरों से टकराने की संभावना कम हो जाएगी, जो तब होता था जब इलाके में अंधेरा छा जाता है.”

जंगल में बसी 19 आदिवासी बस्तियों में 73 सोलर स्ट्रीट लाइट्स लगाई जाएंगी, जो रोजाना शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक काम करेंगी.

एटीआर में कुल 750 आदिवासी परिवार हैं, जो सरकारपति, चिन्नारपति, नागरूथ-1, नागरूथ-2, कोझीकामुदी, एरुमईपरई, कूमट्टी, वेल्लीमुडी, कावरकल, मेदुनकुंद्रू, लोअर पूनाची, कदमपराई, एथाकुझली, शंकरनकुडी, उदुमनपराई, पलागनार, कल्लरकाडा और कल्लरकाड बस्तियों में फैले हुए हैं.

गणेशन ने यह भी बताया कि उन्होंने अब तक 11 बस्तियों में हर घर को पेयजल कनेक्शन दे दिया है. इसके लिए आस-पास के जलाशयों से पाइपलाइन के माध्यम से बस्तियों में पानी लाया गया है. पानी चौबीसों घंटे उपलब्ध होगा.

इसके अलावा 11 बस्तियों के लिए 3,000 लीटर की क्षमता वाली एक पानी की टंकी भी स्थापित की थी, जिसमें अब यूवी (अल्ट्रा वायलेट) और आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) पानी भरा जाता है.

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