केरल के निलंबूर के जंगलों से आदिवासियों द्वारा इकट्ठा की जाने वाली वनोपज अब दूर दूर तक लोगों के घरों तक पहुंचेगी.
वन उत्पादों का एक नया ब्रांड गुरुवार को अस्तित्व में आया. जंगली शहद समेत निलंबूर के आदिवासियों द्वारा जंगल से इकट्ठा की जाने वाली कई और लघु वनोपज अब अडवी ब्रांड के तहत मार्केट की जाएंगी.
जन शिक्षण संस्थान (JSS) और नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने संयुक्त रूप से गुरुवार को निलंबूर में आयोजित एक आदिवासी उत्सव में अडवी ब्रांड लॉन्च किया.
अडवी ब्रांड जेएसएस और नाबार्ड द्वारा कार्यान्वित गोतत्रमृत परियोजना का हिस्सा है. जेएसएस के निदेशक वी. उमर कोया ने मीडिया को बताया कि शुद्ध जंगली शहद के अलावा, जंगली शतावरी, और आंवले और आम के अलग अलग अचारों को पहले चरण में अडवी ब्रांड के तहत बढ़ावा दिया जाएगा.
निलंबूर के आदिवासियों द्वारा बनाई गई गोत्रमृत सोसाइटी उत्पादों की बिक्री का जिम्मा उठाएगी. योजना के हिस्से के रूप में अडवी उत्पादों के लिए बेहतर और व्यापक बाजारों, खासतौर से विदेशी बाजारों पर नजर है.
आदिवासी उत्सव में जेएसएस और नाबार्ड ने दिशा नाम से एक प्रदर्शनी भी आयोजित की. आदिवासी बस्ती के मुखिया समेत, दूसरे निवासियों ने उत्सव में भाग लिया.