आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के विशाखापट्टनम (Vishakahapatnam) में 45 वर्षीय आदिवासी शख्स के. पोटाना की 6 फरवरी को जेल में मौत हो गई. जिसके बाद से ही मृतक का परिवार जेल के बाहर प्रदर्शन कर रहा है.
परिवार वालों का आरोप है की पोटाना की मौत का कारण पुलिस द्वारा किए गए अत्याचार और मारपीट है.
आदिवासी मृतक को एनडीपीएस अधिनियम (NDPS Act) के तहत पिछले साल जुलाई में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद 27 जुलाई को गांजा तस्करी के मामले में कोर्ट ने उसे 6 महीने की सज़ा सुनाई थी.
परिवार वालों के अनुसार 6 फरवरी, मंगलवार रात 1 बजे मृतक के भाई शंकर राव को पुलिस वालों ने यह जानकारी दी थी की पोटाना की तबियत खराब होने के कारण उसे केजीएच अस्पताल में भर्ती किया गया है.
रात 2 बजे पुलिस फिर से शंकर को कॉल करती है और उसे बताती है की उसके भाई की मौत हो चुकी है.
आदिवासी मृतक की पत्नी तुलामा ने बताया की जब मृतक का भाई अस्पताल पहुंचा तो उसने देखा की उसके भाई का चेहरा पिटाई के कारण सूज़ा हुआ है और उनके पास इसकी तस्वीर भी मौजूद है.
तुलामा ने यह भी बताया की जब वह 11 बज़े अस्पताल पहुंची तो वहां कोई भी पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं था. इतना ही नहीं उन्हें उनके पति का शव ले जाने के लिए अस्पताल द्वारा कोई मदद नहीं दी गई.
के. पोटाना का परिवार बुधवार से ही पुलिस स्टेशन के बाहर प्रदर्शन कर रहा है. मृतक की पत्नी का कहना है की पुलिस वालों ने पूछताछ के दौरान उनके पति को मारा-पीटा था, जिसके कारण उसकी मौत हो गई.
वहीं दूसरी ओर पुलिस स्टेशन के अधीक्षक किशोर कुमार ने बताया कि जब पोटाना जेल आए तो उनका स्वास्थ्य अच्छा था. लेकिन 6 फरवरी को पोटाना को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी. जिसके बाद उन्हें केजीएच अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई.
किशोर कुमार ने ये भी दावा किया कि मृतक के साथ पूछताछ के दौरान मार-पीटाई नहीं की गई थी.