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कुकी-ज़ो बहुल जिलों में बिजली लौटी, आदिवासी संगठन ने उपद्रवियों द्वारा तोड़फोड़ का लगाया आरोप

कुकी-ज़ो संगठन ने बिजली न आने का आरोप घाटी के ट्रांसमिशन लाइन में तोड़फोड़ बताया है. वहीं दूसरी तरफ अधिकारी का कहना है की यह स्पष्ट नहीं हो पाया है की बिजली ना आने का कारण कोई प्राकृतिक हानि है या फिर कोई तोड़फोड़.

मणिपुर राज्य (Manipur) के कुकी-जो आबादी (Kuki-Zo community) वाले दो ज़िलों – चुराचांदपुर और फेरज़ावल में चार दिनों तक अंधकार फैला हुआ था. लगभग चार दिनों तक इन दो ज़िलों में रहने वाले हज़ारों लोग बिजली की समस्या से जूझ रहे थे.

इसी समस्या से परेशान चुराचांदपुर ज़िले के एक निवासी ने बताया कि चार दिनों तक बिजली न आने के कारण अस्पाताल की चिकित्सा सुविधा, इंटरनेट, बैंकिंग और छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में काफी दिक्कत हुई थी.

कुकी-ज़ो संगठन ने बिजली न आने का कारण घाटी के ट्रांसमिशन लाइन में तोड़फोड़ बताया है. इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि चुराचांदपुर शहर से लगभग 30 किमी दूर बिष्णुपुर ज़िले के निंगथौखोंग के ट्रांसमिशन लाइन में खराबी के कारण शुक्रवार को दोनों जिलों में बिजली आना बंद हो गई थी.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब तक यह जानकारी नहीं मिली है की बिजली बंद होने का कारण प्राकृतिक था या फिर किसी तोड़फोड़ से हुआ था.

उन्होंने यह भी बताया की उन्हें शाम 6 बजे के आसपास और चुराचांदपुर के लोगों को शाम 6.30 से 7 बजे के आसपास बिजली मिलना शुरू हुई थी.

वहीं फेरज़ावल में दो घंटे बाद ही बिजली सुविधा प्रदान कर दी गई थी.

यह भी पता चला है की 31 जनवरी को भी चुराचांदपुर में बिजली नहीं थी लेकिन अगले दिन इसका समाधान हो गया था. लेकिन एक बार फिर 2 फरवरी से लगभग 6 फरवरी तक चुराचांदपुर इलाकों के लोगों को बिजली के बिना रहना पड़ा.

इम्फाल की रिपोर्ट के अनुसार बिजली न होने का कारण तकनीकी खराबी और राज्य में चल रही अशांति है.
इसी संदर्भ में एक आधिकारी ने कहा कि मैं चुराचांदपुर की सीमा को पार नहीं कर सकता क्योंकि वे इलाका मैतई प्रभावित है.

मणिपुर राज्य में पिछले साल 3 मई से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच चल रही जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 60 हज़ार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं.

राज्य में इतनी अशांति फैली है कि अपनी सुरक्षा के लिए कोई भी कुकी-ज़ो घाटी के जिलों में प्रवेश नहीं कर सकता है और न ही कोई मैतेई समुदाय का कुकी-ज़ो क्षेत्रों में प्रवेश कर सकता है.

चुराचांदपुर के जनजातियों समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने दावा किया है इस जातीय संघंर्ष से पहले यहां तीन लाइनें थीं, जो चुराचांदपुर और फेरज़ॉल को बिजली प्रदान करती थी, लेकिन दो जून 2023 में मैतेई समुदाय के कुछ लोगों ने दो लाइनों को तोड़ दिया. बाकी बची एक लाइन को 1 फरवरी की घटना से पहले नष्ट कर दिया गया था.

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