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महाराष्ट्र: CBSE की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में EMRS की लड़कियों ने लड़कों को पीछे छोड़ा

एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय के छात्राओं ने सीबीएसई 10वी और 12वी की परीक्षाओं में लड़को को पिछे छोड़ दिया है. 13 मई को 10वी और 12 वी कक्षा के सीबीएसई रिजल्ट आए है.


सोमवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं और 12वीं कक्षा के रिज़ल्ट घोषित किए. रिजल्ट आने के बाद यह जानकारी मिली है की महाराष्ट्र के एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल (Ekalavya Model Residential School) की छात्राओं ने सीबीएसई के 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में लड़को को पीछे छोड़ दिया है.

देश के दूरदराज़ इलाकों में आदिवासी छात्र-छात्राओं के लिए एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय बनाया जाता है. इन स्कूलों में छठवीं कक्षा से ही सीबीएसी बोर्ड के अनुसार पढ़ाई होती है.

पूर्वी महाराष्ट्र के 11 ज़िलों को विदर्भ कहा जाता है. इन 11 ज़िलों में 7 से 8 एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय (ईएमआरएस) मौजूद है. इन स्कूलों में लगभग 1500 आदिवासी छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं.

यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ये सभी 1500 बच्चे 10वीं और 12वीं कक्षा में नहीं है. महाराष्ट्र के विदर्भ ज़िलों में ईएमआरएस (EMRS) के 12वीं कक्षा का सीबीएसई रिज़ल्ट 100 प्रतिशत से लेकर 58.9 प्रतिशत तक गया है.

गढ़चिरौली के अहेरी तहसील में स्थित एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय में 100 प्रतिशत, गोंदिया के बोरगांव बाज़ार में 93 प्रतिशत, चंद्रपुर के देवाड़ा में 78 प्रतिशत और रामटेक में 58.9 प्रतिशत परिणाम रहा है. इन सभी स्कूलों में से रामटेक सबसे पुराना है.

वहीं एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय के 10वीं कक्षा में का परिणाम भी 100 प्रतिशत रहा है.

रामटेक में स्थित ईएमआरएस की प्रिंसिपल, रूपा बोरेकर ने कहा कि लड़कियों ने अन्य जिलों में भी लड़कों को पछाड़ दिया है. उन्होंने खुद को साबित किया है.

उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी लड़के भी बेहतर परिणाम ला सकते हैं, अगर वे सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग करें

इसके अलावा अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव, दिनेश शेरम ने कहा की आदिवासी छात्र-छात्राओं को मेंस्ट्रीम के छात्र-छात्राओं के बराबर लाने के लिए सीबीएसई ने एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय की शुरूआत की थी.

एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय
एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय की स्थापना 2002 से शुरू हो गई थी. इस स्कूल को खोलने का उद्दश्य आदिवासी समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना था.

इन स्कूलों में उन छात्र-छात्राओं को दाखिला दिया जाता है. जिनके परिवार की वार्षिक आय 60,000 से भी कम हो.
इनमें ज्यादातर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के बच्चों को दाखिला मिलता है.

देश के सुदूर आदिवासी इलाकों में आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential School) खोला जा रहा है.

2019 में केंद्र सरकार द्वारा 452 नए एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूलों को मंजूरी दी गई थी, प्रत्येक आदिवासी ब्लॉक में एक जहां 50 प्रतिशत या अधिक एसटी आबादी है.

राज्य सरकारों को इन स्कूलों के निर्माण के लिए लगभग 15 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया गया था.
सरकार ने यह वादा किया है कि 2025 तक 740 ईएमआरएस स्थापित कर दिए जाएंगे.

वहीं मिनिस्ट्री ऑफ ट्राइबल अफेयर्स की वेबसाइट से मिले आकड़ों के मुताबिक सरकार ने अब तक 699 एकलव्य स्कूल सेंशन किए गए हैं. इनमें से 403 स्कूल फंक्शनल हैं. इसके अलावा एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल विद्यालय में 1 लाख 23 हज़ार 825 कुल छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं

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