एक समय भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे और बाद में राजनीति को अपनाने वाले बंदी उराँव का आज निधन हो गया. वे लगभग 90 वर्ष के थे. बंदी उराँव चार बार विधायक रहे और बिहार सरकार में एक बार वो मंत्री भी बने. बंदी उरांव को लोग याद करते हुए उनके योगदान की चर्चा कर रहे हैं.
आदिवासी मसलों पर लगातार लिखने और बोलने वाले बुद्धिजीवी ग्लैडसन डुंगडुंग ने उन्हें याद करते हुए लिखा है, “ आदिवासियों की पत्थलगढी परंपरा को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए जन आंदोलन खड़ा करने वाले आदिवासी लेजेंड बाबा बंदी उराँव को अंतिम जोहार.”
जमशेदपुर की सरोज लकड़ा भी बंदी उराँव को याद कर आदिवासी उत्थान में उनके योगदान की चर्चा करते हुए लिखती हैं, “पेसा क़ानून 1996 के प्रारूप समिति के सदस्य, पत्थलगढ़ी के माध्यम से पाँचवीं अनुसूचित और ग्राम सभाओं की संवैधानिक शक्तियों को सर्वप्रथम जनता के बीच लाने वाले पूर्व आईपीएस और विधायक बंदी उराँव के निधन पर उन्हें नम आँखों से श्रद्धांजलि और अंतिम प्राकृतिक जोहार.”
भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता और गुजरात के झगड़िया से विधायक छोटू भाई वसावा ने भी बंदी उराँव को याद किया है. उन्होंने कहा है कि बंदी उराँव ने पत्थलगढ़ी, पेसा क़ानून और संविधान की अनुसूचि 5 में दिए अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण काम किया. उन्होंने बंदी उराँव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने सोशल मीडिया पर ये बात कही है.
बंदी उराँव अपने पीछे पुत्र अरुण उरांव, पुत्रवधू गीताश्री उरांव और भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनके पुत्र अरुण उरांव भी आइपीएस की नौकरी से वीआरएस लेकर भाजपा में शामिल हुए हैं.
बंदी उरांव बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.लोगों का कहना है कि बंदी उरांव के निधन के साथ ही राजनीति का वह वटवृक्ष गिर गया है. उनके निधन पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्वीट करते लिखा कि पूर्व आइपीएस अधिकारी, बिहार सरकार में मंत्री रहे और भाजपा नेता डॉ अरूण उरांव के पिता बंदी उरांव जी के निधन का दुखद समाचार मिला. उनका आदिवासियों के उत्थान में बड़ा योगदान रहा।.भगवान उनको अपने श्री चरणों में स्थान दे. उनके परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना.