HomeAdivasi DailyCAA के विरोध में आदिवासी संगठन ने त्रिपुरा में मनाया ब्लैक डे

CAA के विरोध में आदिवासी संगठन ने त्रिपुरा में मनाया ब्लैक डे

इससे पहले साल 2019 में अगरतला से लगभग 20 किलोमीटर दूर खुमुलवंग के मधब्बारी में नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) के खिलाफ पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई थी.

त्रिपुरा में सबसे पुराने जीवित आदिवासी छात्र संगठनों में से एक और उत्तर पूर्व छात्र संगठन के सदस्य, ट्विप्रा स्टूडेंट्स फेडरेशन (Twipra Students Federation) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध हिस्से के रूप में त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद (TTAADC) के क्षेत्रों में ब्लैक डे मनाया.

टीएसएफ महासचिव हमारी जमातिया ने कहा कि त्रिपुरा विशाल जनसंख्या घनत्व के कारण किसी भी विदेशियों को जगह देने में सक्षम नहीं है. हम सभी भारतीय नागरिकों के कल्याण की रक्षा के पक्ष में हैं. हम सीएए का पुरजोर विरोध करते हैं और सभी समुदायों से सीएए के खिलाफ आंदोलन का समर्थन करने की अपील करते हैं.

उन्होंने कहा कि विदेशी आप्रवासियों को कानून द्वारा अपनी नागरिकता सुरक्षित बनाने की अनुमति दी जाएगी.

इससे पहले साल 2019 में अगरतला से लगभग 20 किलोमीटर दूर खुमुलवंग के मधब्बारी में नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) के खिलाफ पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच झड़प में तीन लोगों की मौत हो गई थी.

दरअसल, इस साल होने वाले आम चुनाव से पहले एक बार फिर से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने का मुद्दा गरमाने लगा है. पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आम चुनावों से पहले नियमों को नोटिफाई कर इसे लागू करने की बात कही थी. ऐसे में कहा जा रहा है कि सरकार सीएए को जल्द से जल्द लागू करने की तैयारी में है.

नागरिकता संशोधन कानून के तहत तीन पड़ोसी मुस्लिम मेजोरिटी देशों – बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी.

नागरिकता देने के लिए सरकार ने एक पोर्टल भी लगभग तैयार कर लिया है. ताकि सबकुछ डिजिटल और आसानी से हो सके.

दिसंबर 2019 में संसद से सीएए पारित किया गया था. कानून पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.

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