टांगी-चौदवार प्रखंड के बड़ापोखरी गांव के आदिवासी मतदाताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें उनकी ज़मीन के पट्टे नहीं मिले, तो वो आगामी पंचायत चुनाव का बहिष्कार करेंगे.
ग्रामीणों ने अपनी दुर्दशा की तरफ सरकार की उदासीनता के विरोध में ‘नो पट्टा नो वोट’ लिखे बैनरों को थामे हुए एक रैली निकाली. आदिवासी ग्रामीणों ने कहा कि पिछले 80 सालों से जमीन के अधिकारों का रिकॉर्ड उन्हें नहीं मिला है.
गांव में करीब 700 मतदाता हैं जो वार्ड नंबर 1 और 2 में रहते हैं. विरोध कर रहे आदिवासियों ने कहा कि पट्टे के बिना उन्हें सरकारी योजनाओं के तहत घर नहीं मिल रहे.
पट्टों के अभाव में ग्रामीणों को आवासीय और जाति प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पा रहे, जिसकी वजह से उनके बच्चे शिक्षा से जुड़े सरकारी फायदों से वंचित हैं.
इसके अलावा, गांव में सड़क और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं. उन्होंने कहा, “हम पीढ़ियों से पीड़ित हैं. चुनाव के दौरान, उम्मीदवार हमें हमारी शिकायतें दूर करने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव के तुरंत बाद निर्वाचित प्रतिनिधि बहाने बनाते हैं कि यह सरकार की नीति से जुड़ा मामला है, और वे इस संबंध में कुछ खास नहीं कर सकते.”
इलाके की एक और आदिवासी निवासी, सबित्री तिरिया ने कहा कि अगर निर्वाचित प्रतिनिधियों को ग्रामीणों की समस्याओं की परवाह नहीं है, तो चुनाव के दौरान मतदान करने का कोई मतलब नहीं है.
“किसी को सत्ता में लाने और उससे हमारे अधिकार के लिए भीख मांगने का क्या मतलब है,” उसने पूछा.
पूछे जाने पर टांगी-चौदवार के बीडीओ आशुतोष मिश्रा ने कहा कि उन्हें आदिवासियों द्वारा पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी के बारे में कोई जानकारी नहीं है.