मार्च 2020 में कोविड-19 के शुरु होने के बाद से अन्मनामलाई टाइगर रिज़र्व (एटीआर) में उलंति फ़ॉरेस्ट रेंज के अंदर बसी एरुमईपारई आदिवासी बस्ती के कई निवासियों के पास नौकरी नहीं है. यह सभी एटीआर के अंदर कुछ न कुछ कामकरते थे.
उनमें से कुछ जंगल की आग को रोकने के लिए वनस्पति साफ करने का काम करते थे, तो दूसरे यहां के मशहूर पर्यटन स्थल टॉपस्लिप में पर्यटकों से पार्किंग शुल्क लेते थे.
तमिलनाडु ट्राइबल वेलफ़ेयर एसोसिएशन के कोयंबटूर जिला अध्यक्ष वीएस परमशिवम के अनुसार हालांकि एटीआर के अधिकारियों ने पर्यटकों को टॉपस्लिप में गेस्ट हाउस में आकर रहने, और पार्किंग वाहनों के लिए शुल्क लेने का काम शुरु किया है, लेकिन पहले जो काम चार आदिवासी करते थे, अब एक ही करता है.
इसी तरह, अस्थायी कर्मचारियों, जिनमें से ज़्यादातर इलाक़े के आदिवासी थे, द्वारा पहले किए जाने वाले काम जैसे रिसेप्शन और शौचालयों की सफ़ाई, अब स्थायी कर्मचारियों को दे दिया गया है.
एक आदिवासी महिला सरोजा के मुताबिक़ उन्हें यहां काम करने के लिए रोज़ाना 250-300 रुपये मिलते थे जो उनके परिवार को चलाने और उनके बच्चों की शिक्षा जारी रखने में मदद करते थे. लेकिन, अब वह पिछले डेढ़ साल से बेरोज़गार है.
“हम वन अधिकारियों के कुछ कहने का इंतज़ार कर रहे थे. उन्होंने विभाग द्वारा अपनी गतिविधियों को शुरू करने के बाद हमें नौकरी पर वापस बुलाने का आश्वासन दिया था. लेकिन अधिकारियों ने अपना वादा पूरा नहीं किया.
सरोजा के मुताबिक उनकी बस्ती में कुल 32 परिवार रहते हैं. जहां पहले 100 से ज़्यादा आदिवासी अलग-अलग नौकरी कर रहे थे, अब उनमें से 40 बेरोज़गार हैं.
परमशिवम ने कहा कि आदिवासियों को नौकरी के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने वन विभाग से एक ऐसा मंच बनाने का अनुरोध किया था जहां आदिवासी पर्यटकों के लिए अपने पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन कर सकें.
इस काम से आदिवासी कुछ पैसा भी कमा सकेंगे. इससे आदिवासी परंपरा और संस्कृति को बढ़ावा भी मिलेगा साथ साथ उनकी आजीविका में भी सुधार होगा. एटीआर से सटे परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व में इलाक़े के आदिवासी ऐसा करते हैं.
एटीआर के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उन्होंने एरुमईपरई बस्ती में हर आदिवासी परिवार के एक सदस्य को रोज़गार दिया है. वो इस बात से इनकार करते हैं कि 40 लोग बेरोज़गार हैं.
उनका दावा है कि एरुमईपरई के आदिवासी वन विभाग के लिए ड्राइवर और दूसरी नौकरियां करते हैं. इसके अलावा जंगल की आग को रोकने के लिए वनस्पति को साफ़ करना सालभर का काम नहीं है.
वन विभाग ने कुछ आदिवासियों को गर्मी के मौसम में इस काम पर लगाया था, लेकिन मॉनसून के दौरान उसकी ज़रूरत नहीं है.
अधिकारी ने यह भी बताया कि वो पर्यटकों के सामने आदिवासी नृत्य पेश करने, और इसके लिए एक फ़ीस वसूलने का प्लान तैयार किया जा रहा है. इस संबंध में वन विभाग आदिवासियों से चर्चा जल्द करेगा.