लोकतंत्र में आदिवासियों का विश्वास इतना मजबूत है कि अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का एक भी मौका यह लोग गंवाना नहीं चाहते.
इंजीकुझी के 25 आदिवासी निवासियों में से 18 ने बांस की एक टेंपरेरी नाव पर सवारी की, ताकि वो अपना वोट डाल सकें. शहरी स्थानीय निकाय चुनावों से एक दिन पहले इन लोगों ने अपनी अस्थायी नाव में बैठकर पापनासम बांध को पार कर पेरियमईलार कानी तक का सफर किया.
अपने और अपने बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने की यह कठिन यात्रा सिर्फ नाव की इस सवारी के साथ खत्म नहीं होती. नाव से नीचे उतरने के बाद, विक्रमसिंगपुरम नगरपालिका के वार्ड 12 के तहत आने वाली आदिवासी बस्ती के निवासियों को चिन्नमईलार कानी तक पहुँचने के लिए लगभग 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है.
यहां के पापनासम अपर डैम प्राइमरी स्कूल में वह अपना वोट डालते हैं.आमतौर पर यह आदिवासी महीने में सिर्फ दो बार कानी और आसपास के शहर में आते हैं. वो भी तब जब उन्हें राशन की दुकान से किराने का सामान खरीदना होता है.
वोट डालने के लिए खातौर पर यह लंबी यात्रा करने वाले एक आदिवासी मतदाता ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हर चुनाव में कुछ मतदाता ऐसे होते हैं, जो अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. उन्हें गांव के बुजुर्गों और संपत्तियों की देखभाल करने के लिए गांव में ही रुकना पड़ता है.”
41 साल के एक आदिवासी, अय्यप्पन, जो गांव के सबसे बुजुर्ग सदस्य, कुट्टियम्माल के रिश्तेदार हैं, ने कहा, “इस बार, कुट्टियम्माल, उनकी बेटी और कुछ दूसरे बुजर्गों को गांव में ही रहना पड़ा है. हम संबंधित अधिकारियों से कई बार अनुरोध कर चुके हैं कि गांव के बुजुर्गों के लिए पोस्टल वोट का प्रावधान किया जाए, लेकिन अधिकारी हमारी बात पर ध्यान नहीं दे रहे.”