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ओडिशा:  आम की गुठली का दलिया खाने से दो महिलाओं की मौत और सात बीमार

मसालों की खेती के लिए मशहूर कंधमाल जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में खाद्य असुरक्षा और भुखमरी जैसी समस्याएं गंभीर हैं. ये घटना इस समस्या को प्रमाणित करती है.

ओडिशा के कंधमाल ज़िले में आम की गुठली से बना दलिया खाने से दो आदिवासी महिलाओं की मौत हो गई और सात अन्य लोग बीमार हो गए हैं.

यह घटना दरिंगबाड़ी ब्लॉक के मंडीपांका गांव में हुई, जहाँ कई ग्रामीणों ने कुछ दिन पहले आम की गुठली से दलिया बनाकर खाया था.

सूत्रों के अनुसार, इस दलिया को खाने के बाद कल नौ लोग बीमार पड़ गए. जिसके बाद उन्हें नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया.

हालत गंभीर होने पर इन्हें बरहमपुर भेजा जा रहा था. लेकिन बरहमपुर के एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पहुंचने से पहले ही दो महिलाओं की मौत हो गई.

एक महिला की स्वास्थ्य केंद्र में मौत हो गई तो दूसरी महिला ने एंबुलेंस से बरहमपुर ले जाते वक्त रास्ते में दम तोड़ दिया.

घटना की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी.

अधिकारियों ने मृत महिलाओं की पहचान 30 वर्षीय रुनी माझी और 28 वर्षीय रनिता पटामाझी के रूप में की है.

स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुब्रत दास ने बताया कि कथित तौर पर खाने से बीमार पड़े छह अन्य लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है और उनकी स्थिति गंभीर है.

उन्होंने कहा कि सभी छह लोगों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

मौत का सही कारण अभी पता नहीं चल पाया है.

हालांकि अधिकारी ने आशंका जताई है कि आम की गुठली खाने के बाद फूड पॉइज़निंग से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा होगा जिसके बाद ये लोग बीमार हुए हैं. हालांकि जांच पूरी होने के बाद सही कारण पता चल सकेगा.

जबकि एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि इस इलाके में लोग आम की गुठली का उपयोग भोजन के रूप में करते हैं. अधिकारी ने कहा इसलिए आम की गुठली को ही मौत का कारण बताना अभी जल्दबाजी होगी.

इस घटना से यह साफ होता है कि मसालों की खेती के लिए मशहूर कंधमाल जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में खाद्य असुरक्षा और भुखमरी जैसी समस्याएं गंभीर हैं. आम की गुठली जैसी गैर-पारंपरिक चीजें खाने की मजबूरी एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करती है.

इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए ये ज़रूरी है कि सरकार और सामाजिक संगठनों द्वारा ऐसे क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं ताकि लोग सुरक्षित और पौष्टिक आहार पा सकें .

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