HomeAdivasi Dailyकेंद्रीय बजट 2025: जनजातीय बजट में 45 फीसदी की बढ़ोत्तरी 

केंद्रीय बजट 2025: जनजातीय बजट में 45 फीसदी की बढ़ोत्तरी 

अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए समग्र बजट आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2024-25 के 10,237.33 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 14,925.81 करोड़ रुपये हो गया है.

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (1 फरवरी) को आम बजट 2025-26 पेश किया. इस बार के बजट में मध्यम वर्ग के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई है. वहीं जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए बजट आवंटन में पिछले साल की तुलना में 45.79 फीसदी की वृद्धि की.

केंद्र सरकार का दावा है कि देश भर के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को पूरा करने के लिए अधिक धनराशि आवंटित की गई है.

केंद्रीय बजट 2025-26 में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के लिए 14,925.81 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2024-25 के 10,237.33 करोड़ रुपये से अधिक है.

मंत्रालय की तीन महत्वपूर्ण पहलों – एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS), प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (PM JANMAN) और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DA-JGUA) के लिए केंद्रीय बजट में वृद्धि देखी गई.

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों को पिछले वर्ष के 4,748 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) से बढ़कर 7,088.60 करोड़ रुपये मिलेंगे.

2018 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुसूचित जनजाति समुदाय के छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय स्थापित करना है, ताकि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके.

सरकार ने 3.5 लाख आदिवासी छात्रों के लिए मार्च 2026 तक 728 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों को कार्यात्मक बनाने का लक्ष्य रखा है.

वहीं प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY) का विस्तार किया गया है और इसे पांच वर्षों में 80 हज़ार करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DA-JGUA) के तहत शामिल किया गया है.

स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और आजीविका में सरकारी योजनाओं के पूर्ण कवरेज के लिए लक्षित धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान योजना के लिए आवंटन में चार गुना वृद्धि की गई है. जो 500 करोड़ रुपये से बढ़कर 2 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड के हजारीबाग में 79,156 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सा: 56,333 करोड़ रुपये और राज्य हिस्सा: 22,823 करोड़ रुपये) के परिव्यय के साथ इस योजना का शुभारंभ किया था.

जबकि विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान के लिए बजट को 2025-26 के लिए 150 करोड़ रुपये से दोगुना करके 300 करोड़ रुपये कर दिया गया है.

हालांकि जनजातीय मामलों के मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के लिए कोई नई योजना की घोषणा नहीं की गई.

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को 13,611 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष के 10,026.40 करोड़ रुपये से 35.75 फीसदी अधिक है.

लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि पहली बार उद्यमी बनने वाली 5 लाख महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए एक नई योजना शुरू की जाएगी.

सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा कि इससे अगले पाँच वर्षों के दौरान 2 करोड़ तक का टर्म लोन मिलेगा.

जनजातीय कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके ने कहा, “यह बजट शिक्षा, आजीविका और बुनियादी ढांचे में केंद्रित निवेश के साथ आदिवासी कल्याण के प्रति हमारे समर्पण का एक प्रमाण है, जो उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करता है. हमारी सरकार आदिवासी सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है.”

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