केरल के वायनाड ज़िले के कुन्होम गांव में शनिवार की सुबह कई माओवादी बैनरों में आदिवासियों से विध्वंसक गतिविधियों का सहारा लेने का आग्रह किया गया था. पनिया जनजाति को सरकार के खिलाफ हथियार उठाने का आह्वान करने वाले बैनर थोंडरनाड पंचायत बस स्टॉप की दीवार और आसपास की कई दुकानों पर पाए गए.
बैनर पर लिखा है, “अंग्रेजों की अग्निशामक तोपों को धनुष और बाणों से लड़ने के इतिहास के बावजूद, पनिया जनजाति के सदस्यों के पास अभी भी उनके नाम पर जमीन नहीं है. सरकार से लंबे समय तक गुहार लगाने का कोई नतीजा नहीं निकला है. हम आदिवासियों से सरकार को चुनौती देने के लिए धनुष-बाण के साथ-साथ बंदूकें उठाने का आग्रह करते हैं.”
बैनर सीपीएम सरकार से मानसून की आपदाओं के पीड़ितों के लिए मुआवजे के वितरण में देरी नहीं करने का भी आह्वान करता है.
पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है. इस साल यह दूसरी बार है जब केरल के उत्तरी ज़िलों में माओवादी पोस्टर पाए गए हैं. इससे पहले अप्रैल में, कोझीकोड के मट्टिकुन्नू इलाके में थमारास्सेरी के पास सत्तारूढ़ सीपीएम सरकार की सिल्वरलाइन रेल कॉरिडोर परियोजना की आलोचना करते हुए एक पोस्टर मिला था.
इसमें संगठन ने इस परियोजना को “जनविरोधी” करार दिया और इसका विरोध करने वाले लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की. संगठन ने वाम सरकार की नीतियों की तुलना केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से भी की थी.
माओवादी या नक्सली कट्टरपंथी वामपंथी हैं जो सशस्त्र विद्रोह और सामूहिक लामबंदी के पक्षधर हैं. माओवादी वर्तमान में मध्य भारत, उत्तर-पूर्व भारत और तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के आसपास के वन क्षेत्रों में सक्रिय हैं.
माओवादियों का उद्देश्य जनयुद्ध के माध्यम से “अर्ध-औपनिवेशिक और अर्ध-सामंती भारतीय राज्यों” को उखाड़ फेंकना है.
भारत में मुख्यधारा की कम्युनिस्ट पार्टियों के विपरीत, माओवादी संगठन लोकतांत्रिक और संवैधानिक मानदंडों को स्वीकार नहीं करते हैं.
(प्रतिकात्मक तस्वीर)