ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासियों ने गुरुवार को रैली निकालकर जिले को एक अलग राज्य का दर्जा देने की मांग की.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार ने मयूरभंज ज़िले की परेशानियों को लगातार नज़रंदाज़ किया है जिसके कारण ज़िले का विकास नहीं हो पा रहा है.
यह प्रदर्शन ज़िला पेसा ग्राम सभा समन्वय समिति के नेतृत्व में किया गया.
आदिवासी प्रदर्शनकारियों ने पारंपरिक कपड़े पहनकर, हाथ में तीर-धनुष लेकर बारिपदा शहर के कई क्षेत्रों में मार्च किया और फ़िर कलेक्टरेट के सामने धरना दिया.
समिति के अध्यक्ष भंजकुल पंडुराम ने आरोप लगाया कि मयूरभंज में सड़क, सिंचाई, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार के अवसर, बिजली आपूर्ति और पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है.
उन्होंने यह भी कहा कि ज़िले में पेसा अधिनियम को लागू नहीं किया गया है जिसके कारण आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं.
भंजकुल पंडुराम के साथ-साथ अन्य प्रदर्शनकारियों ने भी मूलभूत सुविधाओं की कमी पर नाराज़गी जताई.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कई गांवों में अब तक सड़कों की सुविधा नहीं है, जिसके कारण मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए चारपाइयों का सहारा लेना पड़ता है.
कुछ गांवों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है और न ही सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है जबकि सरकार की ओर से इसके लिए करोड़ों रुपये का बजट आवंटित किया गया है.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के साथ-साथ उप-डिविज़नल अस्पताल और मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद डॉक्टरों की कमी के कारण लोग कटक स्थित एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल पर निर्भर रहते हैं.
प्रदर्शनकारियों ने यह भी शिकायत की कि जिले में कोई उद्योग नहीं होने के कारण स्थानीय युवाओं को रोज़गार के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं.
इसके अलावा सिमिलिपाल में रोजाना सैकड़ों पर्यटक आते हैं लेकिन इसके विकास के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है जबकि राज्य में डबल इंजन की सरकार है यानि केंद्र और राज्य दोनों में सत्ता एक ही पार्टी के हाथ में है.
आदिवासी समुदायों का मानना है कि मयूरभंज को अलग राज्य का दर्जा देने से क्षेत्र का समग्र विकास संभव हो सकेगा.
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा है. इस ज्ञापन में उन्होंने इस संबंध में उचित कदम उठाने की मांग की.