झारखंड में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election 2024) से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार को घेरने की कोशिश में लव जिहाद और लैंड जिहाद इन दोनों मुद्दों को बार-बार उछाल रही है.
बीजेपी नेता आए दिन राज्य सरकार पर झारखंड में लव जिहाद और लैंड जिहाद को बढ़ावा देकर प्रदेश की जमीन और जनसंख्या के संतुलन को बदलने का आरोप लगाते रहे हैं.
अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) छोड़ बीजेपी में आई शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन (Sita Soren) ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है.
दरअसल, सीता सोरेन ने 28 अक्तूबर को जामताड़ा सीट से नामांकन किया. इस दौरान उन्होंने अपने जीत का दावा किया और राज्य में हो रहे कथित जनसांख्यिकी बदलावों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की निष्क्रियता ने लैंड जिहाद और लव जिहाद को बढ़ावा दिया है.
सीता सोरेन ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, “जब बात लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे संवेदनशील मुद्दों की हो तो सरकार की निष्क्रियता ने उन लोगों को बढ़ावा दिया है जो हमारे लोगों का शोषण करना चाहते हैं. अगर हम आदिवासियों के अधिकार और सम्मान की रक्षा करना चाहते हैं, तो हमें अपने नेताओं से कार्रवाई की मांग करनी होगी.”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार के लिए इन मुद्दों को सुलझाने और आदिवासी समुदाय के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने का समय आ गया है. नहीं तो आदिवासियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. अगर आदिवासियों को बचाना है तो बीजेपी को लाना जरूरी है.
आदिवासियों को बचना जरूरी – चंपई सोरेन
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भी सोमवार को कहा कि आदिवासियों को “बांग्लादेशी घुसपैठियों की साजिश” से बचाना जरूरी हो गया है.
उन्होंने कहा कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो आदिवासियों की कथित तौर पर हड़पी गई जमीन उनके मूल मालिकों को लौटा दी जाएगी.
अगस्त में झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सोरेन ने गिरिडीह में एक जनसभा में दावा किया कि घुसपैठियों के खिलाफ आदिवासी समुदाय में नाराजगी व्याप्त है.
सोरेन ने कहा, “सिदो-कान्हो, चांद-वैराभ, फूलो-झानो और बाबा तिलका मांझी जैसे महापुरुषों ने हमारी जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और शहीद हो गए. अब घुसपैठिए उस जमीन को हड़प रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि अगर भाजपा चुनाव में सत्ता में आती है तो पारंपरिक सामुदायिक संगठनों के प्रमुखों की बैठक बुलाई जाएगी और अवैध रूप से हड़पी गई आदिवासी जमीनों को असली मालिकों को लौटाया जाएगा.
उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कारण कई गांवों में आदिवासियों का अस्तित्व मिट चुका है और आदिवासी महिलाओं की गरिमा ख़तरे में है.
सरायकेला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे सोरेन ने आरोप लगाया कि यहां तक आदिवासियों के धार्मिक स्थलों पर भी कब्जा कर लिया गया है.
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के अनुसार चूंकि गैर-आदिवासी आदिवासी जमीन नहीं खरीद सकते. इसलिए उन्होंने हैरानी जताई कि ये कथित घुसपैठिए, जो मुख्य रूप से संथाल परगना क्षेत्र में बसे हैं, उनकी जमीन कैसे हड़प रहे हैं.
बांग्लादेशियों द्वारा कथित घुसपैठ, स्थानीय आदिवासी महिलाओं से उनका विवाह और आदिवासियों की जमीन हड़पना झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रमुख मुद्दे हैं.
झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर 13 और 20 नवंबर को दो फेज में चुनाव होने हैं और 23 नवंबर को वोटों की गिनती होगी.