हाल ही में मिस इंडिया की लिस्ट में आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों का नाम ढूंढ रहे राहुल गांधी ने विदेश में आरक्षण को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया है जिससे राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है.
दरअसल, कांग्रेस सांसद और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी फिलहाल विदेश दौरे पर हैं. अमेरिका के छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में राहुल गांधी ने आरक्षण पर जो बयान दिया है, उसके कारण वे कई राजनीतिक दलों के निशाने पर हैं.
चिराग पासवान ने किया कड़ा विरोध
केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने राहुल गांधी के बयान पर तीखा हमला बोला.
चिराग पासवान ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए राहुल गांधी पर आरक्षण विरोधी मानसिकता रखने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस पार्टी की सोच बाबा साहब अंबेडकर द्वारा संविधान में दिए गए आरक्षण को खत्म करने की है.
उनका कहना है कि कांग्रेस आरक्षण को पूरी तरह समाप्त कर देना चाहती है. उन्होंने चुनौतीपूर्ण रवैये में आगे कहा कि जब तक उनकी पार्टी है, आरक्षण सुरक्षित रहेगा.
चिराग ने आरक्षण को खत्म करने की सोच को अपराध बताया और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है.
उनके मुताबिक कांग्रेस की नीतियां आरक्षण विरोधी रही हैं इसलिए उन्होंने जनता से कांग्रेस के इस खेल से सतर्क रहने की अपील की.
मायावती ने भी किया विरोध
बसपा प्रमुख मायावती ने भी राहुल गांधी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने लंबे शासन काल में कभी ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया और न ही जातीय जनगणना कराई.
मायावती ने कहा कि राहुल गांधी का बयान कांग्रेस की आरक्षण विरोधी सोच को उजागर करता है.
मायावती ने कांग्रेस पर निशाना साधा कि यह अब भी सत्ता में आने के लिए इन मुद्दों का इस्तेमाल कर रही है लेकिन उनकी पार्टी इस साजिश को कामयाब नहीं होने देगी. उन्होंने जनता से कांग्रेस के आरक्षण विरोधी षड्यंत्र से सतर्क रहने की अपील की.
चिराग पासवान और मायावती के अलावा भाजपा नेताओं ने भी राहुल गांधी के बयान की निंदा की है. उनका कहना है कि कांग्रेस हमेशा से आरक्षण विरोधी रही है और इस बयान से उसकी असली सोच सामने आ गई है.
भाजपा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आरक्षण को बनाए रखने और सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
राहुल ने क्या कहा है?
दरअसल, अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों ने जब राहुल गांधी से पूछा कि जाति के आधार पर आरक्षण कब तक जारी रहेगा. इस सवाल का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा जब भारत में पूर्ण निष्पक्षता होगी तब कांग्रेस देश में जाति आधारित आरक्षण को खत्म करने के बारे में सोचेगी.
राहुल गांधी ने कहा, ‘जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं तो आदिवासियों को 100 रुपए में से 10 पैसे मिलते हैं, दलितों को 100 रुपए में से 5 रुपए मिलते हैं और ओबीसी को भी लगभग इतनी ही रकम मिलती है. असलियत यह है कि उन्हें भागीदारी नहीं मिल रही है. भारत के हर एक बिजनेस लीडर की सूची देखें. मुझे आदिवासी, दलित का नाम दिखाएं. मुझे ओबीसी का नाम दिखाएं. मुझे लगता है कि शीर्ष 200 में से एक ओबीसी है. वे भारत के 50 प्रतिशत हैं लेकिन हम इस बीमारी का इलाज नहीं कर रहे हैं. अब, आरक्षण एकमात्र साधन नहीं है. अन्य साधन भी हैं.’
राहुल गांधी ने आगे कहा कि भारत में अभी कई सामाजिक असमानताएं हैं और जब तक ये असमानताएं खत्म नहीं होतीं, तब तक आरक्षण की व्यवस्था लागू रहनी चाहिए.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बयान का असर आने वाले चुनावों में हो सकता है. कांग्रेस और विपक्षी दलों के बीच इस मुद्दे को लेकर टकराव और बढ़ने की आशंका है.
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के कोटे के भीतर कोटे के फैसले पर छिड़ी बहस अभी ठीक से शांत भी नहीं हो पाई थी कि राहुल गांधी के बयान पर एक नई बहस शुरु हो गई है.