HomeIdentity & Life'ट्राइबल एटलस' क्या और क्यों है

‘ट्राइबल एटलस’ क्या और क्यों है

'Tribal Atlas' एक बेहद अहम पहल साबित हो सकती है बशर्ते इसको गंभीरता से लागू किया जाए.

भारत सरकार ने देश के दूर दराज के आदिवासी बहुल गांवों को चिन्हित करने और उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक स्थिति को दर्शाने के लिए एक ‘ट्राइबल एटलस’ (Tribal Atlas) बनाने की योजना शुरू की है. 

इस एटलस का उद्देश्य इन गांवों की विस्तृत प्रोफाइल तैयार करना है.  इससे नीति निर्धारकों और शोधकर्ताओं को इन समुदायों की वास्तविक स्थिति समझने में सहायता मिल सकती है.

इस पहल का मुख्य उद्देश्य देश के दुर्गम और दूर दराज के आदिवासी गांवों की पहचान कर वहां की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या संरचना, सांस्कृतिक विविधता और संसाधनों की उपलब्धता को दस्तावेजीकरण करना है. 

इससे यह भी पता लगाया जा सकेगा कि किन क्षेत्रों में आदिवासियों के भूमि अधिकार अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाए हैं.  इसके साथ ही इस बात की जानकारी भी मिल जाएगी की कहां वन अधिकार अधिनियम के तहत दावे लंबित हैं.

वन अधिकार अधिनियम और लंबित दावे: 

वन अधिकार अधिनियम के तहत आदिवासी समुदायों को उनके पारंपरिक भूमि अधिकार दिए जाने थे. लेकिन 1 फरवरी 2025 तक आधे से भी कम दावों को मंजूरी मिली है. कई में मामले अभी भी लंबित हैं. ‘ट्राइबल एटलस’ इन लंबित दावों की पहचान करने में सहायक सिद्ध होगा और प्रशासन को उनके समाधान में मदद करेगा.

इस एटलस की योजना पहले से चल रही पहलों का विस्तार कहा जा सकता है. उदाहरण के लिए, जनजातीय कार्य मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा ‘1000 स्प्रिंग्स इनिशिएटिव’ शुरू की गई थी. 

इसका उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में जलस्रोतों का मानचित्रण और प्रबंधन (mapping and managment) करना था. इसके अलावा, केरल में ‘ट्राइबल एटलस ऑफ केरल’ भी प्रकाशित किया गया था. इसमें केरल के आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक और जनसंख्या से जुड़ी जानकारी दी गई थी.

नीति निर्धारण में सहायक:

‘ट्राइबल एटलस’ नीति निर्धारकों को आदिवासी क्षेत्रों के लिए लक्षित विकास योजनाएं बनाने में सहायता कर सकता है. इसके साथ ही जिन आदिवासी समुदायों या परिवारों को अभी तक वन अधिकार जैसे क़ानूनों के तहत अधिकार नहीं मिला है, उनकी मदद की जा सकती है.

इसके साथ ही यह एटलस शोधकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित हो सकता है.

भारत सरकार की यह पहल आदिवासी समुदायों की भलाई और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. उम्मीद है कि इस एटलस के जरिए दूरस्थ आदिवासी गांवों की समस्याएं उजागर होंगी और उनके समाधान की दिशा में ठोस प्रयास किए जाएंगे.

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