केरल (Tribes of kerala) के कन्नूर ज़िले में स्थित अरलम फार्म(Aralam farm) में रहने वाले आदिवासी सालों से जीवित रहने के लिए संघंर्ष कर रहे हैं.
यह इलाका अक्सर माओवाद प्रभाव के कारण सुर्खियों में रहता है. माओवाद प्रभाव के अलावा यहां रहने वाले आदिवासी जंगली जानवरों (Wild animal attack) से जान बचाने का संघंर्ष कर रहे हैं.
जंगली जानवरों और आदिवासियों का संघंर्ष
जानवरों का हमला यहां सबसे बड़ी चुनौती हैं. जानवरों के हमले से बचने के लिए यहां सोलर फेंसिंग और 13 किलोमीटर लंबी दीवार भी खड़ी की गई, लेकिन जंगली जानवरों का हमला फिर भी नहीं थमा.
2014 में जंगली हाथी के हमले की वज़ह से 17 लोग मारे गए थे.
यहां रहने वाले आदिवासियों को जंगली हाथी के अलावा जंगली बंदर और सुअरों का भी खतरा है.
यहां रहने वाले लोग बताते है कि इस फार्म के अंदर लगभग 70 जंगली हाथी मौजूद हैं. यहां लोगों की जान बचाने के लिए इन हाथियों को इस इलाके से खदेड़ दिया गया था.
लेकिन दो ही दिन बाद 13 जंगली हाथी फिर से फार्म में वापस आ गए.
यह इलाका घने जंगलों में स्थित है, इसलिए यहां रहने वाले आदिवासी और गैर आदिवासी मूलभूत सुविधाओं से भी वचिंत रहते हैं.
इन सभी मुश्किलों के अलावा यहां पर काम करने वाले 425 कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिलता है.
केरल का अरलम फार्म, फार्म कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के 16 फार्मों में से एक हैं. 2010 में राज्य सरकार ने अरलम फार्म कॉरपोरेशन का निर्माण किया था.
वेतन समय पर ना मिलना
1978 के बाद से ही इस फार्म से सैकड़ों आंदोलन देखने को मिले हैं.
यहां रहने वाले मज़दूरो ने अपने 240 दिन कार्य के पूरे होने के बाद कार्य को नियमित करने की मांग की थी. अपनी मांग को पूरा करने के लिए मज़दूरों ने 57 दिनों तक लंबा आंदोलन किया. मज़दूरों द्वारा किया गया यह विरोध इस इलाके का पहला आंदोलन माना जाता है.
एक समय ऐसा भी था, जब यह फार्म काफी ज्यादा राजस्व कमाता था. लेकिन कई अलग-अलग कारणों के चलते अब यहां काफी कम कमाई होती है.
अब यहां 425 ही कर्मचारी है, जिनमें से 325 आदिवासी समुदाय से हैं. इन 425 कर्मचारियों में से कई अपने वेतन का लंबे समय से इंतज़ार कर रहे हैं.
यहां काम करने वाले कर्मचारियों ने कुछ समय पहले ग्रेच्युटी जैसे मुनाफे के लिए 15 दिनों तक आंदोलन किया था. हालांकि अब यह आंदोलन धीमा पड़ गया है.