मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हाल ही में अलग विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में आदिवासी संस्कृति, भाषा और कस्टमरी लॉ की पढ़ाई के लिए एक पाठ्यक्रम तय करने पर चर्चा हुई.
इस चर्चा में कई विश्वविद्यालयों के उपकुलपति, प्रोफेसर और बुद्धिजीवी शामिल हुए. मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता और जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह भी इस चर्चा में शामिल हुए.
उन्होंने अपनी बात रखते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के आदिवासी समुदायों को भारत के दृष्टिकोण से देखने की ज़रूरत है. सेमिनार में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में आदिवासी समुदायों के नायकों के साथ इंसाफ़ नहीं हुआ है.
इसलिए यह ज़रूरी है कि ट्राइबल स्टडी और रिसर्च में भारतीय दृष्टिकोण से आदिवासी संस्कृति और जीवनशैली को देखा जाए.
मैं भी भारत के संपादक श्याम सुंदर के साथ एक ख़ास इंटरव्यू में उन्होंने कई और विषयों पर भी बात की है. इस इंटरव्यू में उन्होंने राज्य में ट्राइबल स्टडी और रिसर्च के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने की योजना की जानकारी भी दी.